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Chapter 12 पुन्हा एकदा (कविता)

Textbook Questions and Answers

पाठाखालील‌ ‌स्वाध्याय:

1.‌ कवयित्रीला‌ ‌असे‌ ‌का‌ ‌म्हणावेसे‌ ‌वाटते?‌ ‌

प्रश्न‌ ‌1.
पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌कोसळाव्यात,‌ ‌कारण‌ ‌….‌…..‌
उत्तरः‌

समाजातील‌ ‌असणारा‌ ‌भेदाभेद‌ ‌मिटून‌ ‌जावा.‌

प्रश्न‌ ‌2.
भुलावी‌ ‌तहान‌ ‌विसरावी‌ ‌भूक,‌ ‌कारण‌ ‌….‌…… ‌
उत्तरः‌
 ‌
नवनवीन‌ ‌गोष्टींची‌ ‌निर्मिती‌ ‌करण्याची‌ ‌इच्छा‌ ‌व्हा

2. ‌खालील‌ ‌घटनांचे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌अपेक्षित‌ ‌परिणाम‌ ‌लिहा.‌ ‌

प्रश्न‌ ‌1.‌
‌खालील‌ ‌घटनांचे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌अपेक्षित‌ ‌परिणाम‌ ‌लिहा.‌ ‌


उत्तरः‌
1. वीज‌ ‌चमकणे‌ ‌-‌ ‌उत्साह‌ ‌निर्माण‌ ‌होतो,‌ ‌माणसात‌ ‌नवचैतन्य‌‌सळसळते.‌ ‌
2.‌ ‌वारा‌ ‌घु मणे‌ ‌-‌ ‌युवक‌ ‌भारला‌ ‌जाऊन,‌ ‌तहानभूक‌ ‌विसरून‌ ‌जाऊन,‌‌ नवनिर्मितीसाठी‌ ‌प्रयत्नशील‌ ‌होईल.‌

3. खालील‌ ‌प्रतिके‌ ‌व‌ ‌त्यांचा‌ ‌अर्थ‌ ‌यांच्या‌ ‌जोड्या‌ ‌लावा.

प्रश्न‌ ‌1.‌ ‌
खालील‌ ‌प्रतिके‌ ‌व‌ ‌त्यांचा‌ ‌अर्थ‌ ‌यांच्या‌ ‌जोड्या‌ ‌लावा.

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उत्तरः‌

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4.‌ ‌भावार्थाधारित.‌‌

‌प्रश्न‌ ‌1.
मातीत‌ ‌माती‌ ‌व्हावी‌ ‌एक…….‌ ‌पुसून‌ ‌टाकीत‌ ‌भेदाभेद……..‌ ‌या,‌‌ काव्यपंक्तीतील‌ ‌समाजिक‌ ‌आशय‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करा.‌ ‌
उत्तरः‌

‌‘कृती‌ ‌3‌ ‌:‌ ‌काव्यसौंदर्य’‌ ‌मधील‌ (1)‌ ‌(ii)‌ ‌चे‌ ‌उत्तर‌ ‌पहा.‌

‌5.‌ ‌अभिव्यक्ती‌

‌प्रश्न‌ ‌1.
आपल्या‌ ‌देशात‌ ‌शांती‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावी‌ ‌यासाठी‌ ‌’पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌काय‌ ‌व्हावे‌ ‌असे‌ ‌तुम्हांस‌ ‌वाटते‌ ‌ते‌ ‌स्वत:च्या‌ ‌शब्दांत‌ ‌सविस्तर‌‌ लिहा.‌ ‌
उत्तर‌:‌ ‌
‘कृती‌ 3:‌ ‌काव्यसौंदर्य’‌ ‌मधील‌ ‌(4)‌ ‌चे‌ ‌उत्तर‌ ‌पहा.‌ ‌

‌प्रश्न‌ ‌2.
‌कवितेचा‌ ‌तुम्हाला‌ ‌समजलेला‌ ‌भावार्थ‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करा.‌ ‌
उत्तर:‌ 

(कवितेचा‌ ‌भावार्थ‌ ‌पहा.)‌‌

अपठित‌ ‌गदय‌ ‌आकलन.‌‌:

1. ‌खालील‌ ‌उतारा‌ ‌काळजीपूर्वक‌ ‌वाचून‌ ‌त्याखालील‌ ‌कृती‌ ‌करा.‌

‌प्रश्न‌ ‌1.
चौकटी‌ ‌पूर्ण‌ ‌करा.‌‌

(अ)‌ ‌झेंड्याचा‌ ‌पांढरा‌ ‌रंग‌ ‌गुणांचा‌ ‌निदर्शक‌ ‌[‌ ‌]
(आ)‌ ‌झेंड्याचा‌ ‌केशरी‌ ‌रंग‌ ‌गुणांचा‌ ‌निदर्शक‌ ‌[ ]
(इ)‌ ‌झेंड्याचा‌ ‌हिरवा‌ ‌रंग‌ ‌गुणांचा‌ ‌निदर्शक‌‌ [ ]

आपल्या‌ ‌झेंड्याचा‌ ‌मधला‌ ‌भाग‌ ‌पांढरा‌ ‌आहे.‌ ‌त्याचा‌ ‌अर्थ‌ ‌काय?‌ ‌पांढरा‌ ‌रंग‌ ‌प्रकाशाचा‌ ‌सत्याचा‌ ‌व‌ ‌साधेपणाचा‌ ‌निदर्शक‌ ‌आहे‌ ‌आणि‌ ‌त्यावरील‌ ‌अशोकचक्र‌ ‌काय‌ ‌सांगते?‌ ‌ते‌ ‌सद्गुणांची,‌ ‌धर्माची‌ ‌खूण‌ ‌सांगते.‌ ‌या‌ ‌झेंड्याखाली‌ ‌काम‌ ‌करताना‌ ‌आपण‌ ‌धर्ममय‌ ‌राहू,‌ ‌सत्यमय‌ ‌राहू‌ ‌असा‌ ‌त्याचा‌ ‌अर्थ‌ ‌आहे.‌ ‌आपल्या‌ ‌वर्तनाची‌ ‌ही‌ ‌सूत्रे‌ ‌राहू‌ ‌देत.‌ ‌या‌ ‌चक्राचा‌ ‌आणखी‌ ‌काय‌ ‌अर्थ‌ ‌आहे?‌ ‌चक्र‌ ‌म्हणजे‌ ‌गती.‌ ‌हे‌ ‌चक्र‌ ‌सांगते,‌ ‌की‌ ‌गतिमान‌ ‌राहा.‌ ‌केशरी‌ ‌रंग‌ ‌त्यागाचा‌ ‌व‌ ‌नम्रतेचा‌ ‌निदर्शक‌ ‌आहे‌ ‌आणि‌ ‌हिरवा‌ ‌रंग‌ ‌म्हणजे‌ ‌हरितश्यामल‌ ‌भूमातेचा.‌ ‌या‌ ‌ध्वजाखाली‌ ‌उभे‌ ‌राहून‌ ‌सेवावृत्तीने‌ ‌व‌ ‌निरहंकारीपणाने‌ ‌आपण‌ ‌पृथ्वीवर‌ ‌स्वर्ग‌ ‌निर्मूया.‌‌

‌2. झेंड्यातील‌ ‌अर्थपूर्णता‌ ‌स्वभाषेत‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करा.

‌प्रश्न‌ ‌1.
झेंड्यातील‌ ‌अर्थपूर्णता‌ ‌स्वभाषेत‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करा.

Additional Important Questions and Answers

पुढील‌ ‌पक्ष्याच्या‌ ‌आधारे‌ ‌दिलेल्या‌ ‌सूचनेनुसार‌ ‌कृती‌ ‌करा:‌ ‌

कृती‌ ‌1‌:‌ ‌आकलन‌ ‌कृती‌

प्रश्न‌‌ ‌1.‌ ‌
आकृतिबंध‌ ‌पूर्ण‌ ‌करा
उत्तरः‌ ‌

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प्रश्न‌‌ ‌2.‌ ‌
उत्तर‌ ‌लिहा.‌
1. ‌रक्तात‌ ‌भिनावी‌ ‌-‌ ‌[ ]
2. ‌पिंगा‌ ‌घालणाऱ्या‌ ‌-‌ ‌[ ]‌ ‌
उत्तर:‌

‌1. वीज‌ ‌
2.‌ ‌पावसाच्या‌ ‌सरी

खालील‌ ‌प्रश्नांची‌ ‌उत्तरे‌ ‌एका‌ ‌वाक्यात‌ ‌लिहा.‌ ‌

प्रश्न‌‌ ‌1.
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌कोण‌ ‌चमकावे‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते?‌ ‌
उत्तरः‌
 ‌
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌वीज‌ ‌चमकावी‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌ ‌

प्रश्न 2.
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌पिंगा‌ ‌घालीत‌ ‌कोण‌ ‌यावे?‌ ‌
उत्तरः‌
 ‌
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌पिंगा‌ ‌घालीत‌ ‌पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌याव्यात.‌

प्रश्न‌‌ ‌3.
‌बेभान‌ ‌कोण‌ ‌व्हावे‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते?‌ ‌
उत्तर‌‌:‌
 ‌
पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌बेभान‌ ‌व्हाव्यात‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌

प्रश्न‌‌ ‌4.
‌कवयित्रीच्या‌ ‌मते‌ ‌नवनिर्माणाची‌ ‌चाहूल‌ ‌कोणाला‌ ‌लागावी?‌ ‌
उत्तरः‌

‌कवयित्रीच्या‌ ‌मते‌ ‌नवनिर्माणाची‌ ‌चाहूल‌ ‌युवकाला‌ ‌लागावी.‌

प्रश्न‌‌ ‌5.
‌कवयित्री‌ ‌कोणाला‌ ‌तहान,‌ ‌भूक‌ ‌विसरायला‌ ‌सांगते?‌ ‌
उत्तरः‌
 ‌
कवयित्री‌ ‌युवकाला‌ ‌तहान,‌ ‌भूक‌ ‌विसरायला‌ ‌सांगते.‌‌

कंसातील‌ ‌योग्य‌ ‌शब्द‌ ‌वापरून‌ ‌रिकाम्या‌ ‌जागा‌ ‌भरा.‌

प्रश्न‌‌ ‌1.‌

  1. पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌चमकावी‌‌ ………………………. (वीज,‌ ‌तार,‌ ‌काच,‌ ‌काया)
  2. भिनावी‌ ‌…………..‌ ‌पेटावे‌ ‌स्नायू‌‌ (मातीत,‌ ‌पाण्यात,‌ ‌रक्तात,‌ ‌अंगात)‌ ‌
  3. ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घालीत‌ ‌………….”‌ ‌पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌व्हाव्यात‌ ‌बेभान.‌ (धिंगाना,‌ ‌पिंगा,‌ ‌वरी,‌ ‌नाच)‌ ‌
  4. ‌मातीत‌ ‌…………..‌ ‌व्हावी‌ ‌एक.‌‌ (मातीत,‌ ‌माती,‌ ‌धन,‌ ‌पाणी)‌
  5. पुसून‌ ‌टाकीत‌ ‌…………..‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकवेळ.‌‌ (जातीभेद,‌ ‌धर्मभेद,‌ ‌भेदाभेद,‌ ‌धर्म)‌
  6. ‌(पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घुमावा‌ ‌वारा‌ ‌………… ‌इथला‌ ‌भारला‌ ‌जावा.‌‌ (माणूस,‌ ‌युवक,‌ ‌मुलगा,‌ ‌बाप)‌ ‌
  7. ‌नवनिर्माणाची‌ ‌लागावी‌ ‌चाहूल‌ ‌उजळावी‌‌ (भूमी,‌ ‌जमीन,‌ ‌पठार,‌ ‌दरी)‌ ‌

उत्तर‌‌:‌

  1. वीज‌
  2. रक्तात‌
  3. पिंगा‌
  4. ‌माती‌
  5. भेदाभेद‌‌
  6. युवक‌ ‌
  7. ‌भूमी‌ ‌

‌जोड्या‌ ‌जुळवा.‌ ‌

प्रश्न‌‌ ‌1.

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प्रश्न‌‌ ‌2.‌

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प्रश्न‌‌ 3.‌

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कृती‌ ‌2‌:‌ ‌आकलन‌ ‌कृती‌ ‌

प्रश्न‌‌ 1.
‌समान‌ ‌अर्थाच्या‌ ‌काव्यपंक्ती‌ ‌शोधून‌ ‌लिहा.‌

  1. मातीत‌ ‌माती‌ ‌मिसळून‌ ‌जावी‌ ‌व‌ ‌एक‌ ‌व्हावी.‌‌
  2. पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌पिंगा‌ ‌घालीत‌ ‌बेभान‌ ‌होऊन‌ ‌याव्यात.‌ ‌
  3. ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌नव्या‌ ‌सुधारणांचा‌ ‌वारा‌ ‌आपल्या‌ ‌समाजात‌ ‌घुमत‌ ‌यावा.‌ ‌
  4. आपली‌ ‌भारतभूमी‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌प्रखर‌ ‌तेजाने‌ ‌तळपावी‌ ‌तिची‌‌ किर्ती‌ ‌सगळ्या‌ ‌जगभर‌ ‌पसरावी.‌ ‌

उत्तर:‌

  1. मातीत‌ ‌माती‌ ‌व्हावी‌ ‌एक‌‌
  2. ‌घालीत‌ ‌पिंगा‌ ‌पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌व्हाव्यात‌ ‌बेभान‌
  3. पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घुमावा‌ ‌वारा‌‌
  4. उजळावी‌ ‌भूमी‌ ‌………….‌ ‌दिगंतात‌ ‌….‌……… ‌

प्रश्न‌‌ 2.
काव्यपंक्तींचा‌ ‌योग्य‌ ‌क्रम‌ ‌लावा.‌

  1. ‌रीत‌ ‌पुकार‌ ‌
  2. भिनावी‌ ‌रक्तात‌ ‌
  3. चमकावी‌ ‌वीज‌ ‌
  4. पेटावे‌ ‌स्नायू‌ ‌
  5. ‌पुसून‌ ‌टाकीत‌ ‌भेदाभेद‌ ‌
  6. ‌पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌व्हाव्यात‌ ‌बेभान‌ ‌
  7. ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घालीत‌ ‌पिंगा‌ ‌
  8. ‌पुन्हा‌ ‌एकवेळ‌ ‌…..‌
  9. ‌उजळावी‌ ‌भूमी‌ ‌…..‌ ‌दिगंतात‌ ‌….‌
  10. ‌युवक‌ ‌इथला‌ ‌भारला‌ ‌जावा‌ ‌
  11. पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घुमावा‌ ‌वारा‌ ‌
  12. नवनिर्माणाची‌ ‌लागावी‌ ‌चाहूल‌ ‌

उत्तर:‌ ‌

  1. ‌चमकावी‌ ‌वीज‌‌
  2. भिनावी‌ ‌रक्तात‌
  3. ‌पेटावे‌ ‌स्नायू‌
  4. ‌करीत‌ ‌पुकार‌ ‌
  5. पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घालीत‌ ‌पिंगा‌ ‌
  6. पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌व्हाव्यात‌ ‌बेभान‌
  7. ‌पुसून‌ ‌टाकीत‌ ‌भेदाभेद‌ ‌
  8. पुन्हा‌ ‌एकवेळ‌
  9. पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घुमावा‌ ‌वारा‌‌
  10. ‌युवक‌ ‌इथला‌ ‌भारला‌ ‌जावा‌
  11. नवनिर्माणाची‌ ‌लागावी‌ ‌चाहूल‌‌
  12. उजळावी‌ ‌भूमी‌ ‌…….‌ ‌दिगंतात‌ ‌….‌ ‌

प्रश्न‌‌ 3.
काव्यपंक्तींवरून‌ ‌शब्दांचा‌ ‌योग्य‌ ‌क्रम‌ ‌लावा.‌‌

  1. पुकार,‌ ‌चमकावी,‌ ‌रक्तात,‌ ‌स्नायू‌ ‌
  2. ‌एकदा,‌ ‌उतरावी,‌ ‌एकवार,‌ ‌करीत‌ ‌
  3. ‌एकवेळ,‌ ‌एकदा,‌ ‌टाकीत,‌ ‌घालीत‌ ‌
  4. पिंगा,‌ ‌भेदाभेद,‌ ‌बेभान,‌ ‌कोसळाव्यात‌ ‌
  5. ‌युवक,‌ ‌वारा,‌ ‌भूक,‌ ‌भूमी.‌
  6. चाहूल,‌ ‌भारला,‌ ‌घुमावा,‌ ‌विसरावी‌

‌उत्तर:‌

  1. चमकावी,‌ ‌रक्तात,‌ ‌स्नायू,‌ ‌पुकार‌‌
  2. एकदा,‌ ‌उतरावी,‌ ‌करीत,‌ ‌एकवार‌ ‌
  3. एकदा,‌ ‌घालीत,‌ ‌टाकीत,‌ ‌एकवेळ‌
  4. पिंगा,‌ ‌बेभान,‌ ‌कोसळाव्यात,‌ ‌भेदाभेद‌
  5. वारा,‌ ‌युवक,‌ ‌भूक,‌ ‌भूमी‌‌
  6. घुमावा,‌ ‌भारला,‌ ‌विसरावी,‌ ‌चाहूल‌

प्रश्न‌ ‌तयार‌ ‌करा.‌ ‌

प्रश्न‌‌ 1.‌
‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌चमकावी‌ ‌वीज.‌
‌उत्तरः‌

‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌कोणी‌ ‌चमकावे?‌

प्रश्न‌‌ 2.
‌पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌व्हाव्यात‌ ‌बेभान‌
‌उत्तरः‌

‌बेभान‌ ‌कोणी‌ ‌व्हावे‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते?‌

प्रश्न‌‌ 3.
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घुमावा‌ ‌वारा.‌ ‌
उत्तरः‌
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌कोण‌ ‌घुमावा?‌ ‌

प्रश्न‌‌ 4.‌
‌नवनिर्माणाची‌ ‌लागावी‌ ‌चाहूल.‌ ‌
उत्तरः‌
कोणाची‌ ‌चाहूल‌ ‌लागावी?‌ ‌

कृती‌ ‌3 ‌:‌ ‌काव्यसौंदर्य‌

खालील‌ ‌काव्यपंक्तीतील‌ ‌आशयसौंदर्य‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करा.‌

प्रश्न‌‌ 1.
‌पुन्हा‌ ‌एकदा,‌ ‌चमकावी‌ ‌वीज,‌ ‌उतरावी‌ ‌खाली,‌ ‌भिनावी‌‌ रक्तात‌
‌उत्तरः‌

‌वीज‌ ‌हे‌ ‌सळसळत्या‌ ‌उत्साहाचे‌ ‌प्रतीक‌ ‌आहे.‌ ‌सध्या‌‌ समाजामध्ये‌ ‌जी‌ ‌मरगळ‌ ‌दिसते‌ ‌आहे.‌ ‌ती‌ ‌मरगळ‌ ‌नष्ट‌ ‌होऊन‌ ‌माणसांमध्ये‌ ‌उत्साह‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावा‌ ‌असे‌ ‌येथे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌सूचित‌ ‌करायचे‌ ‌आहे.‌ ‌प्रत्येकाच्या‌ ‌रोमारोमात‌ ‌चैतन्य‌ ‌निर्माण‌ ‌झाले‌ ‌पाहिजे.‌ ‌प्रत्येकजण‌ ‌उत्साहाने‌ ‌चांगले‌ ‌कार्य‌ ‌करण्यासाठी‌ ‌पुढे‌ ‌यावा‌ ‌आणि‌ ‌त्याच्या‌ ‌हातून‌ ‌देशासाठी‌ ‌काहीतरी‌ ‌चांगल्या‌ ‌गोष्टी‌ ‌घडल्या‌ ‌पाहिजेत.‌‌

प्रश्न‌‌ 2.
मातीत‌ ‌माती‌ ‌व्हावी‌ ‌एक…‌ ‌पुसून‌ ‌टाकीत‌ ‌भेदाभेद…‌ ‌
उत्तरः‌
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌बेभान‌ ‌होऊन‌ ‌कोसळाव्यात.‌‌ या‌ ‌बेभान‌ ‌सरींमुळे‌ ‌मातीत‌ ‌माती‌ ‌मिसळून‌ ‌जावी.‌ ‌ती‌ ‌एकजीव‌ ‌व्हावी.‌ ‌याचाच‌ ‌अर्थ‌ ‌या‌ ‌मातीतील‌ ‌म्हणजे‌ ‌समाजातील‌ ‌सगळा‌ ‌भेदाभेद‌ ‌मिटून‌ ‌जावा.‌ ‌समाजात‌ ‌एकोपा‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावा.‌ ‌म्हणून‌‌ मातीत‌ ‌माती‌ ‌एक‌ ‌व्हावी‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रिला‌ ‌वाटते.‌

पुढील‌ ‌ओळींचा‌ ‌अर्थसौंदर्य‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करा.‌‌

प्रश्न‌‌ 1.
उतरावी‌ ‌खाली,‌ ‌भिनावी‌ ‌रक्तात‌ ‌
उत्तरः‌
निसर्गातील‌ ‌विविध‌ ‌प्रतिकांचा‌ ‌वापर‌ ‌करीत‌ ‌कवयित्री‌‌ नवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌छान‌ ‌वर्णन‌ ‌करतात.‌ ‌त्या‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌वीज‌ ‌चमकून‌ ‌खाली‌ ‌उतरून‌ ‌यावी.‌ ‌त्या‌ ‌वीजेचे‌ ‌तेज,‌ ‌तिची‌ ‌प्रखरता‌ ‌माणसांच्या‌‌
रक्तात‌ ‌भिनावी.‌ ‌

प्रश्न‌‌ 2.
‌मातीत‌ ‌माती‌ ‌व्हावी‌ ‌एक…पुसून‌ ‌टाकीत‌ ‌भेदाभेद….‌ ‌
उत्तरः‌
बेभान‌ ‌सरींमुळे‌ ‌मातीत‌ ‌माती‌ ‌मिसळून‌ ‌जावी.‌ ‌याचाच‌‌ अर्थ‌ ‌या‌ ‌मातीतील‌ ‌म्हणजे‌ ‌समाजातील‌ ‌सगळा‌ ‌भेदाभेद‌ ‌मिटून‌ ‌जावा,‌ ‌संपून‌ ‌जावा,‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌समाजात‌ ‌असलेला‌ ‌गरीब-श्रीमंत,‌ ‌उच्च-नीच,‌ ‌जात-धर्म,‌ ‌स्त्री-पुरुष‌ ‌असा‌ ‌विविध‌ ‌प्रकाराचा‌ ‌भेदाभेद‌ ‌नष्ट‌ ‌होऊन‌ ‌भेदभावरहित‌ ‌नव्या‌‌ समाजाची‌ ‌निर्मिती‌ ‌व्हावी,‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रिला‌ ‌वाटते.‌ ‌

प्रश्न‌‌ 3.
‌उजळावी‌ ‌भूमी‌ ‌…‌….. ‌दिगंतात‌ ‌…‌……‌
उत्तरः‌
नव्या‌ ‌विचारांनी,‌ ‌नव्या‌ ‌कर्तृत्वाने‌ ‌आपली‌ ‌सारी‌ ‌भूमी‌‌ उजळून‌ ‌निघावी.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌आपली‌ ‌भारतभूमी‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌प्रखर‌ ‌तेजाने‌ ‌तळपावी,‌ ‌तिची‌ ‌कीर्ती‌ ‌सगळ्या‌ ‌जगभर‌ ‌पसरावी,‌ ‌असेच‌‌ कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌ ‌

प्रश्न‌‌ 4.
‌पुन्हा‌ ‌एकदा,‌ ‌घुमावा‌ ‌वारा,‌ ‌युवक‌ ‌इथला,‌ ‌भारला‌ ‌जावा‌ ‌
उत्तरः‌
नवनिर्मितीचे‌ ‌विचार‌ ‌प्रखरतेने‌ ‌मांडताना‌ ‌कवयित्री‌ ‌म्हणतात‌‌ की,‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌नव्या‌ ‌सुधारणांचा‌ ‌वारा‌ ‌आपल्या‌ ‌समाजात‌ ‌घुमत‌‌ यावा.‌ ‌या‌ ‌वाऱ्याने‌ ‌इथला‌ ‌प्रत्येक‌ ‌युवक‌ ‌भारून‌ ‌जावा.‌ ‌

प्रश्न‌‌ 3.
क्रांती‌ ‌आपोआप‌ ‌होत‌ ‌नाही‌ ‌तर‌ ‌ती‌ ‌घडवून‌ ‌आणावी‌ ‌लागते,‌‌ यावर‌ ‌तुमचे‌ ‌मत‌ ‌सोदाहरण‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करा.‌ ‌
उत्तरः‌
क्रांती‌ ‌आपोआप‌ ‌होत‌ ‌नसली‌ ‌तरी‌ ‌ती‌ ‌घडवून‌ ‌आणण्यासाठी‌‌ तशी‌ ‌परिस्थिती‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावी‌ ‌लागते.‌ ‌क्रांतीमुळे‌ ‌समाजात‌ ‌परिवर्तन‌ ‌होत‌ ‌असते.‌ ‌संपूर्ण‌ ‌समाजात‌ ‌व‌ ‌देशात‌ ‌आमूलाग्र‌ ‌बदल‌ ‌घडवून‌ ‌आणण्याचे‌ ‌सामर्थ्य‌ ‌क्रांतीत‌ ‌असते,‌ ‌तिला‌ ‌घडवून‌ ‌आणण्यासाठी‌ ‌समाजातील‌ ‌कोणीतरी‌ ‌व्यक्ती‌ ‌पुढाकार‌ ‌घेते.‌ ‌ती‌ ‌आपले‌ ‌ज्वलंत‌ ‌विचार‌ ‌लिखित‌ ‌स्वरूपात‌ ‌मांडते‌ ‌व‌ ‌पुढे‌‌ व्यक्त‌ ‌करते.‌ ‌त्याचे‌ ‌वाचन‌ ‌करून‌ ‌लोकांमध्ये‌ ‌तत्कालीन‌ ‌रूढी,‌ ‌परंपरा‌ ‌वा‌ ‌विचारधारणेविषयी‌ ‌तिटकारा‌ ‌निर्माण‌ ‌होतो.‌ ‌जनता‌ ‌आपल्यावर‌ ‌होत‌ ‌असलेला‌ ‌अन्याय,‌ ‌अत्याचार‌ ‌यांविरोधात‌ ‌जागृत‌ ‌होते‌ ‌व‌ ‌क्रांतीस‌ ‌सिद्ध‌ ‌होते.‌ ‌रूसोचे‌ ‌विचार‌ ‌वाचून‌ ‌फ्रेंच‌ ‌लोक‌ ‌राज्यक्रांती‌ ‌करण्यास‌ ‌सिद्ध‌ ‌झाले‌ ‌होते.‌ ‌केसरीतील‌ ‌लोकमान्य‌ ‌टिळकांचे‌ ‌लेख‌ ‌वाचून‌ ‌लोक‌ ‌इंग्रजांविरोधात‌ ‌चिडून‌‌ उठले‌ ‌होते.‌

प्रश्न‌‌ 4.
‌आपल्या‌ ‌देशात‌ ‌शांती‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावी‌ ‌यासाठी‌ ‌’पुन्हा‌ ‌एकदा’‌‌ काय‌ ‌व्हावे‌ ‌असे‌ ‌तुम्हांस‌ ‌वाटते‌ ‌ते‌ ‌स्वत:च्या‌ ‌शब्दांत‌ ‌सविस्तर‌‌ लिहा.‌ ‌
उत्तरः‌
आपल्या‌ ‌देशात‌ ‌आज‌ ‌भ्रष्टाचार,‌ ‌अन्याय,‌ ‌अत्याचार,‌‌ स्त्रीशोषण,‌ ‌बालशोषण‌ ‌असे‌ ‌अनेक‌ ‌वाईट‌ ‌प्रकार‌ ‌घडत‌ ‌आहेत.‌ ‌त्यामुळे‌ ‌आपल्या‌ ‌देशात‌ ‌आज‌ ‌अशांतीचे‌ ‌वातावरण‌ ‌निर्माण‌ ‌झालेले‌ ‌आहे.‌ ‌यासाठी‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌क्रांती‌ ‌घडवून‌ ‌आणण्यासाठी‌ ‌सर्वांनी‌ ‌एकत्र‌ ‌येणे‌ ‌आवश्यक‌ ‌बनलेले‌ ‌आहे.‌ ‌देशात‌ ‌वाढत‌ ‌चाललेली‌ ‌अराजकता‌ ‌व‌ ‌अंधाधुंदी‌ ‌कमी‌ ‌करण्यासाठी‌ ‌सर्वांनी‌ ‌प्रामाणिकपणाने‌ ‌आपले‌ ‌कर्तव्य‌ ‌निभावले‌ ‌पाहिजे.‌ ‌’मी‌ ‌भ्रष्टाचार‌ ‌करणार‌ ‌नाही‌ ‌वा‌ ‌इतरांना‌ ‌करू‌ ‌देणार‌ ‌नाही’,‌ ‌यावर‌ ‌सर्वांनी‌ ‌ठाम‌ ‌असले‌ ‌पाहिजे.‌ ‌संविधानाच्या‌ ‌विरोधात‌ ‌कार्य‌ ‌करत‌ ‌असलेल्या‌ ‌लोकांना‌ ‌पकडून‌ ‌पोलीस‌ ‌ठाण्यात‌ ‌दिले‌ ‌पाहिजे.‌ ‌देशसेवेचे‌ ‌बाळकडू‌ ‌सर्वांनी‌ ‌प्राशन‌ ‌केले‌ ‌पाहिजे.‌ ‌यासाठी‌ ‌सर्वांनी‌ ‌मिळून‌‌ पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌अभियान‌ ‌चालविले‌ ‌पाहिजे.‌ ‌

प्रश्न‌‌ 5.
‌नवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेले‌ ‌लोक‌ ‌सर्वसामान्यांपेक्षा‌ ‌वेगळे‌ असतात,‌ ‌यावर‌ ‌तुमचे‌ ‌विचार‌ ‌सोदाहरण‌ ‌स्पष्ट‌ ‌करा.‌
‌उत्तरः‌ ‌
नवनिर्मिती‌ ‌म्हणजे‌ ‌जुन्या‌ ‌चालीरीती,‌ ‌रूढी,‌ ‌परंपरा,‌ ‌समाजात‌‌ प्रचलित‌ ‌असलेल्या‌ ‌सामाजिक‌ ‌समस्या‌ ‌यांचा‌ ‌नाश‌ ‌करून‌ ‌नवीन‌ ‌मूल्यांवर‌ ‌आधारित‌ ‌समाजाची‌ ‌स्थापना‌ ‌करणे‌ ‌होय.‌ ‌अशा‌ ‌या‌ ‌नवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेले‌ ‌लोक‌ ‌इतरांहून‌ ‌वेगळेच‌ ‌असतात.‌ ‌ते‌ ‌आपल्या‌ ‌ध्यासाने‌ ‌भारावलेले‌ ‌असतात.‌ ‌नवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌साकार‌ ‌करण्यासाठी‌ ‌ते‌ ‌समाजात‌ ‌क्रांती‌ ‌घडवून‌ ‌आणतात.‌ ‌आपल्या‌ ‌ज्वलंत‌ ‌विचारांनी‌ ‌व‌ ‌कृतीतून‌ ‌ते‌ ‌समाजापुढे‌ ‌एक‌ ‌आदर्श‌ ‌निर्माण‌ ‌करतात.‌ ‌नवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेली‌ ‌माणसे‌ ‌ध्येयवेडी‌ ‌असतात.‌ ‌नेल्सन‌ ‌मंडेला‌ ‌यांनीसुद्धा‌ ‌प्रस्थापित‌ ‌समाजरचनेविरोधात‌ ‌जो‌ ‌संघर्ष‌ ‌केला‌ ‌होता‌ ‌तो‌ ‌खरोखरच‌ ‌प्रशंसनीयच‌ ‌होता.‌ ‌स्वामी‌ ‌विवेकानंद,‌ ‌आगरकर,‌ ‌लोकमान्य‌ ‌टिळक‌ ‌यांनी‌ ‌सुद्धा‌ ‌नवनिर्मितीसाठी‌ ‌भगीरथ‌ ‌प्रयत्न‌ ‌केले‌ ‌होते;‌ ‌म्हणून‌ ‌या‌ ‌सर्वांना‌ ‌सर्वसामान्यांपेक्षा‌ ‌मानाचे‌ ‌व‌ ‌आदराचे‌ ‌स्थान‌ ‌आहे.‌‌

प्रश्न‌‌ 6.
दिलेल्या‌ ‌मुद्द्यांच्या‌ ‌आधारे‌ ‌कवितेसंबंधी‌ ‌पुढील‌ ‌कृती‌‌ सोडवा.‌ ‌
‌उत्तरः‌ ‌

1. कवी/‌ ‌कवयित्रीचे‌ ‌नाव‌ ‌-‌‌ प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌

2. ‌संदर्भ‌ ‌-‌‌
‘पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌लिहिली‌‌ आहे.‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌त्यांच्या‌ ‌’भुलाई’‌ ‌या‌ ‌कवितासंग्रहातील‌ ‌आहे.‌ ‌

3‌. ‌प्रस्तावना‌ ‌-‌‌
‘पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌लिहिली‌ ‌आहे.‌ ‌या‌ ‌कवितेत‌ ‌नवनिर्माणाचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌सुरेख‌ ‌वर्णन‌ ‌कवयित्रीने‌ ‌केले‌ ‌आहे.‌ ‌वाङमयप्रकारसामाजिक‌ ‌कविता‌ ‌कवितेचा‌ ‌विषयनवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌वर्णन‌ ‌करणारी‌‌
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌सामाजिक‌ ‌भान‌ ‌असलेली‌ ‌कविता‌ ‌आहे.‌

4. वाङमयप्रकार‌‌-
सामाजिक‌ ‌कविता‌

5. ‌कवितेचा‌ ‌विषय‌‌-
नवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌वर्णन‌ ‌करणारी‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌सामाजिक‌ ‌भान‌ ‌असलेली‌ ‌कविता‌ ‌आहे.‌‌

6. कवितेतील‌ ‌आवडलेली‌ ‌ओळ‌‌
मातीत‌ ‌माती‌ ‌
व्हावी‌ ‌एक‌ ‌…‌
‌पुसून‌ ‌टाकीत‌‌
भेदाभेद…‌ ‌

7.‌ ‌मध्यवर्ती‌ ‌कल्पना‌ ‌-‌‌
समाजातील‌ ‌जुन्या‌ ‌रूढी,‌ ‌रीतिरिवाज,‌ ‌परंपरा,‌ ‌भेदाभेद‌ ‌नष्ट‌ ‌करून‌ ‌नवनिर्माणाचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌‌ सुरेख‌ ‌वर्णन‌ ‌’पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌या‌ ‌कवितेत‌ ‌दिसून‌ ‌येते..‌ ‌

8. कवितेतून‌ ‌मिळणारा‌ ‌संदेश‌‌ –
समाजातील‌ ‌सर्व‌ ‌प्रकारचा‌ ‌भेदाभेद,‌ ‌रूढी,‌ ‌रीतीरिवाज,‌ ‌परंपरा‌ ‌इथल्या‌ ‌तरुणांनी‌ ‌नष्ट‌ ‌कराव्यात.‌ ‌तसेच‌ ‌नवीन,‌ ‌पुरोगामी‌ ‌विचारांचा‌ ‌नवा‌ ‌एकसंघ‌ ‌समाज‌ ‌निर्माण‌ ‌करण्याचा‌ ‌प्रत्येकाने‌‌ ध्यास‌ ‌घ्यावा.‌ ‌हा‌ ‌संदेश‌ ‌’पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌या‌ ‌कवितेतून‌ ‌मिळतो.‌ ‌

9. कविता‌ ‌आवडण्याची‌ ‌वा‌ ‌न‌ ‌आवडण्याची‌ ‌कारणे-
‘पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌मला‌ ‌खूप‌ ‌आवडली‌ ‌आहे.‌ ‌त्याचे‌ ‌महत्त्वाचे‌ ‌कारण‌ ‌म्हणजे‌ ‌नवनिर्माणाचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌वर्णन‌ ‌करण्यासाठी‌ ‌कवयित्रीने‌ ‌निसर्गातील‌ ‌विविध‌ ‌प्रतिकांचा‌ ‌अतिशय‌ ‌सुरेख‌ ‌वापर‌ ‌केलेला‌ ‌आहे.‌ ‌या‌ ‌प्रतिकांमुळे‌ ‌कविता‌ ‌जिवंत‌ ‌असल्याप्रमाणे‌ ‌भास‌ ‌होतो.‌‌

10. ‌भाषिक‌ ‌वैशिष्ट्ये‌‌-
‘पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌या‌ ‌कवितेमध्ये‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌प्रमाण‌ ‌मराठी‌ ‌भाषेचा‌ ‌वापर‌ ‌केलेला‌ ‌आहे.‌ ‌प्रत्येक‌ ‌ओळीमध्ये‌ ‌केवळ‌ ‌दोनच‌ ‌शब्दांचा‌ ‌वापर‌ ‌करून‌ ‌वेगळा‌ ‌छान‌ ‌परिणाम‌ ‌साधला‌ ‌आहे.‌ ‌शिवाय‌ ‌निसर्गप्रतिकांचा‌ ‌योग्य‌ ‌वापर‌ ‌करीत‌ ‌अर्थाचे‌ ‌सौंदर्य‌ ‌वाढवलेले‌ ‌आहे.‌‌

‌खालील‌ ‌काव्यपंक्तींचे‌ ‌रसग्रहण‌ ‌करा.‌ ‌

प्रश्न‌ ‌1.
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌चमकावी‌ ‌वीज‌‌
उतरावी‌ ‌खाली‌ ‌भिनावी‌ ‌रक्तात‌
‌पेटावे‌ ‌स्नायू‌ ‌करीत‌ ‌पुकार‌‌
पुन्हा‌ ‌एकवार‌ ‌
उत्तरः‌
’पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌लिहिली‌ ‌आहे.‌ ‌या‌ ‌कवितेत‌ ‌नवनिर्माणाचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌सुरेख‌ ‌वर्णन‌ ‌कवयित्रीने‌ ‌केलेले‌ ‌आहे.‌‌

निसर्गातील‌ ‌विविध‌ ‌प्रतीकांचा‌ ‌वापर‌ ‌करीत‌ ‌कवयित्री‌ ‌नवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌छान‌ ‌वर्णन‌ ‌करतात.‌ ‌त्या‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌वीज‌ ‌चमकून‌ ‌खाली‌ ‌उतरून‌ ‌यावी.‌ ‌त्या‌ ‌विजेचे‌ ‌तेज,‌ ‌तिची‌ ‌प्रखरता‌ ‌माणसांच्या‌ ‌रक्तात‌ ‌भिनावी.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌माणसांमध्ये‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌उत्साह‌ ‌भरून‌ ‌जावा.‌ ‌त्यांचे‌ ‌स्नायू‌ ‌पेटून‌ ‌उठावेत‌ ‌म्हणजेच‌ ‌समाजातील‌ ‌जुन्या,‌ ‌अनिष्ट‌ ‌चालीरिती,‌ ‌रूढी,‌ ‌परंपरा,‌ ‌अन्याय,‌ ‌अत्याचार‌ ‌याविरुद्ध‌ ‌त्यांनी‌ ‌पेटून‌ ‌उठावे‌ ‌आणि‌ ‌ते‌ ‌सारे‌ ‌नष्ट‌ ‌करून‌ ‌त्यातून‌ ‌समाजाला‌ ‌प्रगतीपथावर‌ ‌घेऊन‌ ‌जाणारे‌ ‌नवीन‌ ‌विचार‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावेत.‌‌

या‌ ‌काव्यपंक्तीमध्ये‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌प्रमाण‌ ‌मराठी‌ ‌भाषेचा‌ ‌वापर‌ ‌केलेला‌ ‌आहे.‌ ‌प्रत्येक‌ ‌ओळीमध्ये‌ ‌केवळ‌ ‌दोनच‌ ‌शब्दांचा‌ ‌वापर‌ ‌करून‌ ‌वेगळा‌ ‌छान‌ ‌परिणाम‌ ‌साधला‌ ‌आहे.‌ ‌शिवाय‌ ‌निसर्गप्रतिकांचा‌ ‌योग्य‌ ‌वापर‌ ‌करीत‌ ‌अर्थाचे‌ ‌सौंदर्य‌ ‌वाढवलेले‌ ‌आहे.‌

प्रश्न‌ ‌2.
‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घालीत‌ ‌पिंगा‌‌ पावसाच्या‌ ‌सरी‌ ‌व्हाव्यात‌ ‌बेभान‌ ‌कोसळाव्या‌ ‌खाली‌ ‌मातीत‌ ‌माती‌ ‌व्हावी‌ ‌एक…‌ ‌पुसून‌ ‌टाकीत‌ ‌भेदाभेद…‌‌ पुन्हा‌ ‌एकवेळ…‌ ‌
उत्तर‌:‌
’पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌लिहिली‌ ‌आहे.‌ ‌या‌ ‌कवितेत‌ ‌नवनिर्माणाचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌सुरेख‌ ‌वर्णन‌ ‌कवयित्रीने‌ ‌केलेले‌ ‌आहे.‌‌

‌नवनिर्मितीच्या‌ ‌विचारांनी‌ ‌प्रेरित‌ ‌झालेल्या‌ ‌मनाचे‌ ‌वर्णन‌ ‌करताना‌ ‌कवयित्री‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌पावसाच्याव्हावी.‌ ‌याचाच‌ ‌अर्थ‌ ‌या‌ ‌मातीतील‌ ‌म्हणजेच‌ ‌समाजातील‌ ‌सगळा‌ ‌भेदाभेद‌ ‌मिटून‌ ‌जावा,‌ ‌संपून‌ ‌जावा,‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌समाजात‌ ‌असलेला‌ ‌गरीब-श्रीमंत,‌ ‌उच्च-नीच,‌ ‌जात-धर्म,‌ ‌स्त्री-पुरुष‌ ‌असा‌ ‌विविध‌ ‌प्रकारचा‌ ‌भेदाभेद‌ ‌नष्ट‌ ‌होऊन‌ ‌भेदभावविरहित‌ ‌नव्या‌ ‌समाजाची‌ ‌निर्मिती‌ ‌व्हावी,‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌‌

या‌ ‌काव्यपंक्तीमध्ये‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌प्रमाण‌ ‌मराठी‌ ‌भाषेचा‌ ‌वापर‌ ‌केलेला‌ ‌आहे.‌ ‌प्रत्येक‌ ‌ओळीमध्ये‌ ‌केवळ‌ ‌दोनच‌ ‌शब्दांचा‌ ‌वापर‌ ‌करून‌ ‌वेगळा‌ ‌छान‌ ‌परिणाम‌ ‌साधला‌ ‌आहे.‌ ‌शिवाय‌ ‌निसर्गप्रतिकांचा‌ ‌योग्य‌ ‌वापर‌ ‌करीत‌ ‌अर्थाचे‌ ‌सौंदर्य‌ ‌वाढवलेले‌ ‌आहे.‌

प्रश्न‌ ‌3.
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घुमावा‌ ‌वारा‌‌
युवक‌ ‌इथला‌ ‌भारला‌ ‌जावा‌ ‌
भुलावी‌ ‌तहान‌ ‌विसरावी‌ ‌भूक‌ ‌
नवनिर्माणाची‌ ‌लागावी‌ ‌चाहूल‌ ‌
उजळावी‌ ‌भूमी…‌ ‌दिगंतात…‌‌
पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌
उत्तरः‌
‘पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌लिहिली‌ ‌आहे.‌ ‌या‌ ‌कवितेत‌ ‌नवनिर्माणाचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌सुरेख‌ ‌वर्णन‌ ‌कवयित्रीने‌ ‌केलेले‌ ‌आहे.‌‌

नवनिर्मितीचे‌ ‌विचार‌ ‌प्रखरतेने‌ ‌मांडताना‌ ‌कवयित्री‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌नव्या‌ ‌सुधारणांचा‌ ‌वारा‌ ‌आपल्या‌ ‌समाजात‌ ‌घुमत‌ ‌यावा.‌ ‌या‌ ‌वाऱ्याने‌ ‌इथला‌ ‌प्रत्येक‌ ‌युवक‌ ‌भारून‌ ‌जावा.‌ ‌इथल्या‌ ‌तरुणाने‌ ‌मंत्रमुग्ध‌ ‌होऊन,‌ ‌तहानभूक‌ ‌विसरून‌ ‌नवनवीन‌ ‌गोष्टी‌ ‌निर्माण‌ ‌करण्याची‌ ‌आस‌ ‌धरावी.‌ ‌नवनिर्माणाची‌ ‌चाहूल‌ ‌त्याला‌ ‌लागावी.‌ ‌नवीन‌ ‌विचारांचा‌ ‌नवा‌ ‌समाज‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावा.‌ ‌नव्या‌ ‌विचारांनी,‌ ‌नव्या‌ ‌कर्तृत्वाने‌ ‌आपली‌ ‌सारी‌ ‌भूमी‌ ‌उजळून‌ ‌निघावी,‌ ‌म्हणजेच‌ ‌आपली‌ ‌भारतभूमी‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌प्रखर‌ ‌तेजाने‌ ‌तळपावी,‌ ‌तिची‌ ‌कीर्ती‌ ‌सगळ्या‌ ‌जगभर‌ ‌पसरावी,‌ ‌असेच‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.
‌‌
या‌ ‌काव्यपंक्तीमध्ये‌ ‌कवयित्री‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌प्रमाण‌ ‌मराठी‌ ‌भाषेचा‌ ‌वापर‌ ‌केलेला‌ ‌आहे.‌ ‌प्रत्येक‌ ‌ओळीमध्ये‌ ‌केवळ‌ ‌दोनच‌ ‌शब्दांचा‌ ‌वापर‌ ‌करून‌ ‌वेगळा‌ ‌छान‌ ‌परिणाम‌ ‌साधला‌ ‌आहे.‌ ‌शिवाय‌ ‌निसर्गप्रतिकांचा‌ ‌योग्य‌ ‌वापर‌ ‌करीत‌ ‌अर्थाचे‌ ‌सौंदर्य‌ ‌वाढवलेले‌ ‌आहे.‌‌

Summary in Marathi

कवयित्रीचा‌ ‌परिचय:

नाव‌‌:‌ ‌प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌
जन्म‌ ‌:‌ ‌(1953)‌‌
:‌ ‌ग्रामीण‌ ‌कथाकार,‌ ‌कवयित्री,‌ ‌’हजारी‌ ‌बेलपान’,‌ ‌’अकसिदीचे‌ ‌दाने’,‌ ‌’सुगरनचा‌ ‌खोपा’,‌ ‌’जावयाचं‌ ‌पोर’‌ ‌इत्यादी‌ ‌कथासंग्रह;‌ ‌’भुलाई’‌ ‌हा‌ ‌कवितासंग्रह;‌ ‌‘बुढाई’‌ ‌ही‌ ‌कादंबरी‌ ‌प्रसिद्ध.‌ ‌अस्सल‌ ‌वैदर्भी‌ ‌बोलीचा‌ ‌प्रभावी‌ ‌वापर‌ ‌हे‌ ‌त्यांच्या‌ ‌लेखनाचे‌ ‌खास‌ ‌वैशिष्ट्य‌ ‌आहे.‌‌

प्रस्तावना‌‌:

‘पुन्हा‌ ‌एकदा’‌ ‌ही‌ ‌कविता‌ ‌कवयित्री‌ ‌’प्रतिमा‌ ‌इंगोले‌ ‌यांनी‌ ‌लिहिली‌ ‌आहे.‌ ‌या‌ ‌कवितेत‌ ‌नवनिर्माणाचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌सुरेख‌ ‌वर्णन‌ ‌केलेले‌ ‌आहे.‌‌

The‌ ‌poem‌ ‌’Punha‌ ‌ekda’‌ ‌is‌ ‌written‌ ‌by‌ ‌poetess‌ ‌Pratima‌ ‌Ingole.‌ ‌In‌ ‌this‌ ‌poem‌ ‌mind’s‌ ‌resolution‌ ‌of‌ ‌new‌ ‌generates‌ ‌has‌ ‌been‌ ‌depicted‌ ‌nicely.‌ ‌The‌ ‌Poetess‌ ‌very‌ ‌aptly‌ ‌depicts‌ ‌the‌ ‌urge‌ ‌of‌ ‌a‌ ‌progressive‌ ‌and‌ ‌creative‌ ‌mind‌ ‌towards‌ ‌the‌ ‌betterment‌ ‌of‌ ‌society‌ ‌once‌ ‌again.‌‌

भावार्थ‌‌:

पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌……….‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकवार‌
निसर्गातील‌ ‌विविध‌ ‌प्रतिकांचा‌ ‌वापर‌ ‌करीत‌ ‌कवयित्री‌ ‌नवनिर्मितीचा‌ ‌ध्यास‌ ‌घेतलेल्या‌ ‌मनाच्या‌ ‌भावस्थितीचे‌ ‌छान‌ ‌वर्णन‌ ‌करतात.‌ ‌त्या‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌वीज‌ ‌चमकून‌ ‌खाली‌ ‌उतरून‌ ‌यावी.‌ ‌त्या‌ ‌वीजेचे‌ ‌तेज,‌ ‌तिची‌ ‌प्रखरता‌ ‌माणसांच्या‌ ‌रक्तात‌ ‌भिनावी.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌माणसांमध्ये‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌उत्साह‌ ‌भरून‌ ‌जावा.‌ ‌त्यांचे‌ ‌स्नायू‌ ‌पेटून‌ ‌उठावेत‌ ‌म्हणजेच‌ ‌समाजातील‌ ‌जुन्या,‌ ‌अनिष्ट‌ ‌चालीरिती,‌ ‌रूढी,‌ ‌परंपरा,‌ ‌अन्याय,‌ ‌अत्याचार‌ ‌याविरुद्ध‌ ‌त्यांनी‌ ‌पेटून‌ ‌उठावे‌ ‌आणि‌ ‌ते‌ ‌सारे‌ ‌नष्ट‌ ‌करून‌ ‌त्यातून‌ ‌समाजाला‌ ‌प्रगतीपथावर‌ ‌घेऊन‌ ‌जाणारे‌ ‌नवीन‌ ‌विचार‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावेत.‌‌

पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घालीत‌ ‌……भेदाभेद…‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकवेळ…‌‌
नवनिर्मितीच्या‌ ‌विचारांनी‌ ‌प्रेरित‌ ‌झालेल्या‌ ‌मनाचे‌ ‌वर्णन‌ ‌करताना‌ ‌कवयित्री‌ ‌पुढे‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌पावसाच्या‌ ‌जोरदार‌ ‌सरी‌ ‌पिंगा‌ ‌घालीत‌ ‌म्हणजे‌ ‌स्वत:भोवती‌ ‌गोल‌ ‌गोल‌ ‌फिरत,‌ ‌बेभान‌ ‌होऊन‌‌ जमिनीवर‌ ‌बरसाव्यात.‌ ‌या‌ ‌बेभान‌ ‌सरींमुळे‌ ‌मातीत‌ ‌माती‌ ‌मिसळून‌ ‌जावी.‌ ‌ती‌ ‌एकजीव‌ ‌व्हावी.‌ ‌याचाच‌ ‌अर्थ‌ ‌या‌ ‌मातीतील‌ ‌म्हणजेच‌ ‌समाजातील‌ ‌सगळा‌ ‌भेदाभेद‌ ‌मिटून‌ ‌जावा,‌ ‌संपून‌ ‌जावा,‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌समाजात‌ ‌असलेला‌ ‌गरीब-श्रीमंत,‌ ‌उच्च-नीच,‌ ‌जात-धर्म,‌ ‌स्त्री-पुरुष‌ ‌असा‌ ‌विविध‌ ‌प्रकारचा‌ ‌भेदाभेद‌ ‌नष्ट‌ ‌होऊन‌ ‌भेदभावविरहित‌ ‌नव्या‌ ‌समाजाची‌ ‌निर्मिती‌ ‌व्हावी,‌ ‌असे‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌‌

पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌घुमावा‌ ‌…..‌ ‌दिगंतात…‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा…‌‌
नवनिर्मितीचे‌ ‌विचार‌ ‌प्रखरतेने‌ ‌मांडताना‌ ‌कवयित्री‌ ‌पुढे‌ ‌म्हणतात‌ ‌की,‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌नव्या‌ ‌सुधारणांचा‌ ‌वारा‌ ‌आपल्या‌ ‌समाजात‌ ‌घुमत‌ ‌यावा.‌ ‌या‌ ‌वाऱ्याने‌ ‌इथला‌ ‌प्रत्येक‌ ‌युवक‌ ‌भारून‌ ‌जावा.‌ ‌इथल्या‌ ‌तरुणाने‌ ‌मंत्रमुग्ध‌ ‌होऊन,‌ ‌तहानभूक‌ ‌विसरून‌ ‌नवनवीन‌ ‌गोष्टी‌ ‌निर्माण‌ ‌करण्याची‌ ‌आस‌ ‌धरावी.‌ ‌नवनिर्माणाची‌ ‌चाहूल‌ ‌त्याला‌ ‌लागावी.‌ ‌नवीन‌ ‌विचारांचा‌ ‌नवा‌ ‌समाज‌ ‌निर्माण‌ ‌व्हावा.‌ ‌नव्या‌ ‌विचारांनी,‌ ‌नव्या‌ ‌कर्तृत्वाने‌ ‌आपली‌ ‌सारी‌ ‌भूमी‌ ‌उजळून‌ ‌निघावी.‌ ‌म्हणजेच‌ ‌आपली‌ ‌भारतभूमी‌ ‌पुन्हा‌ ‌एकदा‌ ‌प्रखर‌ ‌तेजाने‌ ‌तळपावी,‌ ‌तिची‌ ‌कीर्ती‌ ‌सगळ्या‌ ‌जगभर‌ ‌पसरावी,‌ ‌असेच‌ ‌कवयित्रीला‌ ‌वाटते.‌‌

शब्दार्थ‌‌:

  1. एकदा‌ ‌-‌ ‌एकवार‌ ‌(once)‌ ‌
  2. चमकणे‌ ‌-‌ ‌चकाकणे‌ ‌(to‌ ‌brighten,‌ ‌to‌ ‌glitter)‌
  3. ‌रक्त‌ ‌-‌ ‌रूधिर‌ ‌(blood)‌‌
  4. स्नायू‌‌ -‌ ‌(a‌ ‌muscle)‌ ‌
  5. पुकार‌ ‌-‌ ‌हाक‌ ‌
  6. पिंगा‌ ‌- लहान‌ ‌मुलींचा‌ ‌एक‌ ‌खेळ‌
  7. ‌पाऊस‌ -‌ ‌पर्जन्य‌ ‌(rain)‌
  8. ‌कोसळाव्या‌ ‌-‌ ‌पडाव्यात‌ ‌(should‌ ‌fall)‌
  9. ‌घुमावा‌ ‌-‌ ‌(should‌ ‌reverberate)‌
  10. ‌बेभान‌ ‌-‌ ‌अनियंत्रित,‌ ‌अनावर‌ ‌(beyond‌ ‌control)‌‌
  11. भेदाभेद‌ ‌-‌ ‌(discrimination)‌ ‌
  12. ‌युवक‌ ‌-‌ ‌तरुण‌ ‌पुरुष‌ ‌(a‌ ‌young‌ ‌man)‌
  13. ‌नवनिर्माण‌ ‌-‌ ‌नवीन‌ ‌निर्मिती‌ ‌(to‌ ‌create‌ ‌something‌ ‌new)‌‌
  14. भूमी‌‌ ‌-‌ ‌जमीन‌ ‌(land)‌ ‌
  15. चाहूल‌ ‌-‌ ‌कानोसा,‌ ‌सूचना‌ ‌(hint,‌ ‌an‌ ‌inkling)‌ ‌
  16. दिगंत‌ ‌-‌ ‌आसमंत‌ ‌(sky)‌‌

वाक्प्रचार‌‌:

1. ‌बेभान‌ ‌होणे‌ ‌-‌ ‌भान‌ ‌विसरणे.‌
2. ‌भारले‌ ‌जाणे‌‌ -‌ ‌मंत्रमुग्ध‌ ‌होणे.