Hindi Lokvani 10th Std Digest Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा? Textbook Questions and Answers
सुचना के अनुसर क्रुतिय कीजिए ।
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तरः
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. अधर
2. आँखें
उत्तर:
1. पद्यांश में इसके खिलने की बात हो रही है?
2. पद्यांश में इनके हँसने की बात हो रही है?
प्रश्न 3.
अंतिम सात पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
सबको दे भोजन …………… कब आएगा?
उत्तर:
कवि की कामना है कि प्रत्येक व्यक्ति को खाने के लिए भरपेट भोजन, शरीर पर पहनने के लिए वस्त्र व रहने के लिए घर उपलब्ध हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आनंद और खुशहाली का आगमन हो। इस धरती पर ऐसे वास्तविक वसंत का आगमन हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलकती रहे; उसके अधर प्रसन्नता से खिलते रहें व उसकी आँखें हँसहँसकर आनंदविभोर हो जाएँ। ऐसा खुशहाल, समृद्ध, संपन्न वसंत; ग्रीष्म-शिशिर में भी वसंत कहलाएगा। सचमुच, जब ऐसा होगा; तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा।
स्वाध्याय:
स्वाध्याय विषयक कृतियाँ
1. तुलना कीजिए।
प्रश्न 1.
तुलना कीजिए।
उत्तरः
प्राकृतिक वसंत | कवि मन की कल्पना का वसंत |
प्रकृति का सदाबहार होना | मानवता का फूल खिलना |
नए पौधों व फूलों का आगमन | सुख-सुविधा के समान अधिकार पाकर नव यौवनमय जीवन |
चारों तरफ हरियाली होना | नव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था का युग |
हवा तरोताजा करने वाली होती है। | ऐसा वसंत जो सबको भोजन, वस्त्र और भवन दे सके |
2. उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
(क) वसंत के अलावा पद्य में प्रयुक्त दो ऋतुएँ –
(ख) सबके लिए समान है –
उत्तर:
(क) ग्रीष्म व शिशिर
(ख) भूमि, गगन, पवन, रवि, शशि
3. निम्न शब्दों के लिए कविता में प्रयुक्त समानार्थी शब्द चुनकर लिखिए।
प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के लिए कविता में प्रयुक्त समानार्थी शब्द चुनकर लिखिए।
- कमी
- हँसी
- फूल
- महल
- मनुष्य
- चाँद
- वस्त्र
- मन
उत्तर:
- अभाव
- मुस्कान
- प्रसून
- प्रासाद
- मानव
- शशि
- वसन
- मानस
4. शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए।
प्रश्न 1.
शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए।
- जिसकी कोई निश्चित सीमा नहीं है –
- जिसका शोषण किया जाता है –
- बिना थके –
- जिसका अंत नहीं –
उत्तर:
- असीम
- शोषित
- अथक
- अनंत
भाषा बिंदु:
1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर सार्थक वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर सार्थक वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
- खाली हाथ लौटना
- बिना सिर-पैर की बातें करना
- यादों में जाग उठना
- भरा-पूरा अनुभव करना
उत्तरः
- खाली हाथ लौटना: निराश होकर वापस आना।
वाक्य: लंदन गोलमेज परिषद किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँच सका इसलिए गांधीजी को खाली हाथ लौटना पड़ा। - बिना सिर-पैर की बातें करना: निरर्थक बातें करना।
वाक्य: जो कुछ भी बोल रहे हो उसका कुछ प्रमाण होना चाहिए अन्यथा बिना सिर-पैर की बातें करने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। - यादों में जाग उठना : पुरानी यादें ताजा हो जाना।
वाक्य: डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम स्वर्ग सिधारे हैं; परंतु वे आज भी हमारी यादों में जाग उठते हैं। - भरा-पूरा अनुभव करना: संतुष्ट हो जाना।
वाक्य: यजमान द्वारा किए गए आतिथ्य सत्कार से हमने भरा-पूरा अनुभव किया।
2. निम्नलिखित वाक्यों के अधोरेखांकित शब्दसमूह के लिए कोष्ठक में दिए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए। (चौपट हो जाना, निछावर करना, नाक-भौं सिकोड़ना, मन मारना, फूला न समाना, दंग रह जाना)
प्रश्न 1.
सरकस की गुड़ियों के करतब देखकर दर्शक आश्चर्य – चकित हो गए।
उत्तर:
सरकस की गुड़ियों के करतब देखकर दर्शक दंग रह गए।
प्रश्न 2.
अचानक पिता जी द्वारा पर्यटन पर जाने का निर्णय सुनकर बच्चे बहुत आनंदित हुए।
उत्तर:
अचानक पिता जी द्वारा पर्यटन पर जाने का निर्णय सुनकर बच्चे फूले न समाए।
3. पाठों में आए सभी प्रकार के अव्ययों को ढूँढ़कर उनसे प्रत्येक प्रकार के दस-दस वाक्य लिखिए।
प्रश्न 1.
पाठों में आए सभी प्रकार के अव्ययों को ढूँढ़कर उनसे प्रत्येक प्रकार के दस-दस वाक्य लिखिए।
उत्तरः
क्रियाविशेषण अव्यय:
- आज: आज रविवार है।
- कल: मैं कल गाँव जाऊँगा।
- शायद: शायद मैं कल बाज़ार नहीं जाऊँगा।
- अचानक: अचानक बिजली चली गई।
- अभी: अभी भी देर नहीं हुई है।
- चुपचाप: वह चुपचाप चला गया।
- अब: अब मैं मन लगाकर पढ़ाई करूँगा।
- वहाँ: वहाँ कोई तो है।
- धीरे-धीरे: गाड़ी धीरे-धीरे जा रही थी।
- जगह-जगह: जगह-जगह फूल ही फूल दिखाई दे रहा है।
संबंधसूचक अव्यय:
- के लिए: मैंने उसके लिए खिलौने लाए।
- की ओर: राम ने उसकी ओर देखा।
- की तरफ: नदी की तरफ मत जाओ।
- के साथ: मुझे उसके साथ जाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता।
- के बाद: परीक्षा खत्म होने के बाद मैं घूमने चला गया।
- के पास: विजय के पिता जी के पास बहुत धन है।
- के अनुसार: उसके अनुसार यह गलत है।
- के प्रति: उसके प्रति मेरे दिल में हमदर्दी है।
- के बीच: उन दोनों के बीच झगड़ा हुआ है।
- के पीछे: घर के पीछे एक पेड़ है।
समुच्चयबोधक अव्यय:
- और: राम और श्याम मित्र हैं।
- परंतु: मैं तुम्हारे घर आने वाला था; परंतु कुछ कारणवश नहीं आ सका।
- बल्कि: वे एक धर्मात्मा ही नहीं हैं; बल्कि एक पहुँचे हुए _महापुरुष भी हैं।
- व: सीता व गीता बाजार जा रही हैं।
- क्योंकि: वह निराश है; क्योंकि उसे मनचाही चीज नहीं मिली।
- कारण: रमेश को चोट लगने के कारण वह स्कूल नहीं जा सका।
- कि: उसने कहा कि तुम अपना काम करो।
- पर: मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना।
- किंतु: मुझे उसके साथ बात करना अच्छा नहीं लगता, किंतु आज मैं उसके साथ बात करूँगा।
- अपितु: महात्मा गांधी जी सिर्फ युगपुरुष नहीं थे; अपितु वे भारतीय संस्कृति के व्याख्याता भी थे।
विस्मयादिबोधक अव्यय:
- जी हाँ!: जी हाँ ! मैं सच कह रहा हूँ।
- अरे!: अरे ! यह तुमने क्या कर डाला?
- अच्छा!: अच्छा ! तो यह चित्र तुमने बनाया है।
- क्या!: क्या ! यह क्या कह रहे हो?
- हे!: हे ! ये कौन है?
- हाय राम!: हाय राम! अब मैं क्या करूँ?
- वाह!: वाह ! क्या मूर्ति है।
- अजी! : अजी ! सुनते हो।
- अहा! : अहा ! बहुत मजा आया।
- बाप रे बाप! : बाप रे बाप ! कितना बड़ा हाथी।
उपयोजित लेखन:
प्रश्न 1.
मुद्दों के आधार पर कहानी लेखन कीजिए।
उत्तरः
‘कुसंगति का परिणाम’
प्रयाग में चक्रधर नामक एक युवक रहता था। युवक पढ़ालिखा था; लेकिन गलत संगति में रहने के कारण वह बुरी आदतों का शिकार हो गया था। वह दिन-रात अपने बुरे दोस्तों के साथ रहता, मौज-मस्ती करता और गलत व्यसनों के चक्कर में पड़ा रहता। एक बार की बात है। उस युक्क के बुरे दोस्तों ने एक घर में चोरी की। चोरी में चुराया हुआ सामान लाकर उन्होंने चक्रधर के घर में उसके लाख मना करने पर भी छुपा दिया। चोरी की जाँच करते हुए पुलिस को भनक मिल गई कि चोरी का माल कहाँ छुपाया गया है।
उन्होंने उस युवक के घर में छापा मारा। पुलिस को वहाँ से चोरी के सामान बरामद हुए। साथ-साथ पुलिस ने उस युवक और उसके दोस्तों को भी धर-पकड़ा। दूसरे दिन पुलिस अधिकारी ने युवक से पूछताछ की। पूछताछ के दौरान अधिकारी को पता चला कि इस चोरी में उसका हाथ नहीं है। गलत संगति के कारण वह भी इस जुर्म में फँस गया है। उसकी सच्चाई जानकर पुलिस अधिकारी ने उसका समुपदशन करवाया और उसे उचित सलाह दी; ताकि वह बुरे लोगों की संगति छोड़कर सही मार्ग पर चल सके।
अधिकारी की सलाह का चक्रधर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। रिहा होने के पश्चात उसने अपने बुरे दोस्तों का साथ छोड़ दिया और छोटा-मोटा व्यवसाय करना शुरू कर दिया। आहिस्ता-आहिस्ता समय बीतता गया और उस युवक का व्यवसाय बढ़ने लगा। उसके कारोबार में वृद्धि होने लगी। उसने अपने जैसे गलत संगति के शिकार हुए युवकों को अपनी कंपनी में नौकरियाँ दीं; ताकि वे बुरी संगति में फँसकर तथा गलत मार्ग पर चलकर स्वयं को बरबाद न करें।
सीख: कुसंगति का फल हमेशा बुरा होता है और सुसंगति का फल सदैव अच्छा ही होता है।
व्याकरण विभाग:
1&2.
3.
4.
5.
6. मुहावरों का प्रयोग/चयन करना
7. शब्दों का शुद्धीकरण
शब्द संपदा – (पाँचवीं से नौवीं तक)
शब्दों के लिंग, वचन, विलोमार्थक, समानार्थी, पर्यायवाची, शब्दयुग्म, अनेक शब्दों के लिए एक शब्द, समोच्चारित मराठी-हिंदी शब्द, भिन्नार्थक शब्द, कठिन शब्दों के अर्थ, उपसर्ग-प्रत्यय पहचानना/अलग करना, कृदंत-तद्धित बनाना, मूल शब्द अलग करना।
उपयोजित लेखन (रचना विभाग)
पत्रलेखन:
अपने विचारों, भावों को शब्दों के द्वारा लिखित रूप में अपेक्षित व्यक्ति तक पहुँचा देने वाला साधन है पत्र ! हम सभी ‘पत्रलेखन’ से परिचित हैं ही । आज-कल हम नई-नई तकनीक को अपना रहे हैं। संगणक, भ्रमण ध्वनि, अंतरजाल, ई-मेल, वीडियो कॉलिंग जैसी तकनीक को अपने दैनिक जीवन से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। दूरध्वनि, भ्रमणध्वनि के आविष्कार के बाद पत्र लिखने की आवश्यकता कम महसूस होने लगी है फिर भी अपने रिश्तेदार, आत्मीय व्यक्ति, मित्र/सहेली तक अपनी भावनाएँ प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए पत्र एक सशक्त माध्यम है।
पत्रलेखन की कला को आत्मसात करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है । अपना कहना (माँग/शिकायत/अनुमति/विनती/आवेदन) उचित तथा कम-से-कम शब्दों में संबंधित व्यक्ति तक पहुँचाना, अनुरूप भाषा का प्रयोग करना एक कौशल है । अब तक हम जिस पद्धति से पत्रलेखन करते आए हैं, उसमें नई तकनीक के अनुसार अपेक्षित परिवर्तन करना आवश्यक हो गया है।
पत्रलेखन में भी आधुनिक तंत्रज्ञान/तकनीक का उपयोग करना समय की मांग है। आने वाले समय में आपको ई-मेल भेजने के तरीके से भी अवगत होना है। अतः इस वर्ष से पत्र के नये प्रारूप के अनुरूप ई-मेल की पद्धति अपनाना अपेक्षित है। * पत्र लेखन के मुख्य दो प्रकार हैं, अनौपचारिक और औपचारिक । (पृष्ठ क्र. 35, 41)
औपचारिक पत्र:
- प्रति लिखने के बाद पत्र प्राप्तकर्ता का पद और पता लिखना
- पत्र के विषय तथा संदर्भ का उल्लेख करना करना चाहिए ।
- इसमें महोदय/महोदया शब्द द्वारा आदर कुशलक्षेम पूछना चाहिए। लेखन स्नेह सम्मान सहित प्रभावी प्रकट किया जाता है।
- निश्चित तथा सही शब्दों में आशय शब्दों और विषय विवेचन के साथ होना चाहिए।
- पत्र का समापन करते समय बायीं ओर पत्र भेजने वाले के हस्ताक्षर, नाम तथा पता लिखना है।
- ई-मेल आईडी देना आवश्यक है।
अनौपचारिक पत्र:
- संबोधन तथा अभिवादन रिश्तों के अनुसार आदर के साथ आवश्यक है ।
- प्रारंभ में जिसको पत्र लिखा है उसका आवश्यक है।
- रिश्ते के की प्रस्तुति करना अपेक्षित है।
- इस पत्र में बायीं ओर पत्र भेजने वाले का नाम, पता लिखना चाहिए। विषय उल्लेख आवश्यक नहीं।.
- पत्र का समापन करते समय अनुसार विषय विवेचन में परिवर्तन अपेक्षित है।
टिप्पणी: पत्रलेखन में अब तक लिफाफे पर पत्र भेजने बाले (प्रेषक) का पता लिखने की प्रथा है । ई-मेल में लिफाफा नहीं होता है। अब पत्र में ही पता लिखना अपेक्षित है।
गद्य आकलन (प्रश्न निर्मिति)
1. भाषा सीखकर प्रश्नों की निर्मिति करना एक महत्त्वपूर्ण भाषाई कौशल है । पाठ्यक्रम में भाषा कौशल को प्राप्त करने के लिए प्रश्ननिर्मिति घटक का समावेश किया गया है। दिए गए परिच्छेद (गट्यांश) को पढ़कर उसी के आधार पर पाँच प्रश्नों की निर्मिति करनी है । प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में हों ऐसे ही प्रश्न बनाए जाएँ।
प्रश्न ऐसे हों:
- तैयार प्रश्न सार्थक एवं प्रश्न के प्रारूप में हों।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्मित गद्यांश में हों ।
- रचित प्रश्न के अंत में प्रश्नचिह्न लगाना आवश्यक है।
- प्रश्न रचना का कौशल प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक अभ्यास की आवश्यकता है।
- प्रश्न का उत्तर नहीं लिखना है। प्रश्न रचना पूरे गद्यांश पर होनी आवश्यक है।
1. प्रश्न निर्मिति के लिए आवश्यक प्रश्नवाचक शब्द निम्नानुसार हैं :
निबंध लेखन:
निबंध लेखन एक कला है । निबंध का शाब्दिक अर्थ होता है ‘सुगठित अथवा ‘सुव्यवस्थित रूप में बंधा हुआ’ । साधारण गदय रचना की अपेक्षा निबंध में रोचकता और सजीवता पाई जाती है। निबंध गदय में लिखी हई रचना होती है, जिसका आकार सीमित होता है । उसमें किसी विषय का प्रतिपादन अधिक स्वतंत्रतापूर्वक और विशेष अपनेपन और सजीवता के साथ किया जाता है। एकसूत्रता, व्यक्तित्व का प्रतिबिंब, आत्मीयता, कलात्मकता निबंध के तत्त्व माने जाते हैं । इन तत्वों के आधार पर निबंध की रचना की जाती है।
निबंध लिखते समय निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान दें:
- प्रारंभ, विषय विस्तार, समापन इस क्रम से निबंध
- विषयानुरूप भाषा का प्रयोग करें।
- भाषा प्रवाही, रोचक और मुहावरेदार हो ।
- कहावतों, सुवचनों का यथास्थान प्रयोग करें ।
- शुद्ध, सुवाच्य और मानक वर्तनी के अनुसार निबंध लेखन आवश्यक है ।
- सहज, स्वाभाविक और स्वतंत्र शैली में निबंध की रचना हो ।
- विचार स्पष्ट तथा क्रमबद्ध होने आवश्यक हैं।
- निबंध की रचना करते समय शब्द चयन, वाक्य-विन्यास की ओर ध्यान आवश्यक देना है। निबंध लेखन में विषय को प्रतिपादित करने की पद्धति के साथ ही कम-से-कम चार अनुच्छेदों की रचना हो ।
- निबंध का प्रारंभ आकर्षक और जिज्ञासावर्धक हो ।
- निबंध के मध्यभाग में विषय का प्रतिपादन हो । निबंध का मध्यभाग महत्त्वपूर्ण होता है इसलिए उसमें नीरसता न हो ।
- निबंध का समापन विषय से संबंधित, सुसंगत, उचित, सार्थक विचार तक ले जाने वाला हो।
आत्मकथनात्मक निबंध लिखते समय आवश्यक तथा महत्त्वपूर्ण बातें:
- आत्मकथन अर्थात एक तरह का परकाया प्रवेश है।
- किसी वस्तु, प्राणी, पक्षी, व्यक्ति की जगह पर स्वयं को स्थापित/आरोपित करना होता है ।
- आत्मकथनात्मक लेखन की भाषा प्रथमपुरुष, एकवचन में हो । जैसे – मैं …. बोल रहा/रही हूँ।
- प्रारंभ में विषय से संबंधित उचित प्रस्तावना, सुवचन, घटना, प्रसंग संक्षेप में लिख सकते हैं सीधे मैं… हूँ से भी प्रारंभ किया जा सकता है।
वैचारिक निबंध लिखते समय आवश्यक बातें:
- वैचारिक निबंध लेखन में विषय से संबंधित में जो विचार होते हैं, उनको प्रधानता दी जाती है। वर्णन, कथन, कल्पना से बढ़कर विचार महत्त्वपूर्ण होते हैं। विचार के पक्ष-विपक्ष में लिखना आवश्यक होता है।
- विषय के संबंध में विचार, मुद्दे, मतों की तार्किक प्रस्तुति महत्त्वपूर्ण होती है।
- पूरक पठन, शब्दसंपदा, विचारों की संपन्नता जितनी अधिक होती है उतना ही वैचारिक निबंध लिखना हमारे लिए सहज होता है। उदा.
कहानी लेखन:
कहानी सुनना-सुनाना आबाल वृद्धों के लिए रुचि और आनंद का विषय होता है । कहानी लेखन विद्यार्थियों की कल्पनाशक्ति, नवनिर्मिति व सृजनशीलता को प्रेरणा देता है । इसके पूर्व की कक्षाओं में आपने कहानी लेखन का अभ्यास किया है। कहानी अपनी कल्पना और सृजनशीलता से रची जाती है । कहानी का मूलकथ्य (कथाबीज) उसके प्राण होते हैं । मूल कथ्य के विस्तार के लिए विषय को पात्र, घटना, तर्कसंगत विचारों से परिपोषित करना लेखन कौशल है। इसी लेखन कौशल का विकास करना कहानी लेखन का उद्देश्य है । कहानी लेखन का मनोरंजन तथा आनंदप्राप्ति भी उद्देश्य है।
कहानी लेखन में निम्न बातों की ओर विशेष ध्यान दें:
- शीर्षक, कहानी के मुद्दों का विस्तार और कहानी से प्राप्त सीख, प्रेरणा, संदेश ये कहानी लेखन के अंग हैं।
- कोई भी कहानी घटना घटने के बाद लिखी जाती है, अतः कहानी भूतकाल में लिखी जाए। कहानी के संवाद प्रसंगानुकूल वर्तमान या भविष्यकाल में हो सकते हैं । संवाद अवतरण चिह्न में लिखना अपेक्षित है।
- कहानी लेखन की शब्दसीमा सौ शब्दों तक हो।
- कहानी के आरंभ में शीर्षक लिखना आवश्यक होता है । शीर्षक छोटा, आकर्षक, अर्थपूर्ण और सारगर्भित होना चाहिए ।
- कहानी में कालानुक्रम, घटनाक्रम और प्रवाह होना आवश्यक है । प्रत्येक मुद्दे या शब्द का अपेक्षित विस्तार आवश्यक है। घटनाएँ धाराप्रवाह अर्थात एक दूसरे से शृंखलाबद्ध होनी चाहिए ।
- कहानी के प्रसंगानुसार वातावरण निर्मिति होनी चाहिए । उदा. यदि जंगल में कहानी घटती है तो जंगल का रोचक, आकर्षक तथा सही वर्णन अपेक्षित है।
- कहानी के मूलकथ्य/विषय (कथाबीज) के अनुसार पात्र व उनके संवाद, भाषा पात्रानुसार प्रसंगानुकूल होने चाहिए ।
- प्रत्येक परिसर/क्षेत्र की भाषा एवं भाषा शैली में भिन्नता/विविधता होती है । इसकी जानकारी होनी चाहिए।
- अन्य भाषाओं के उद्धरण, सुवचनों आदि के प्रयोग से यथासंभव बचे ।
- कहानी लेखन में आवश्यक विरामचिह्नों का प्रयोग करना न भूलें । कहानी लेखन करते समय अनुच्छेद बनाएँ । जहाँ तक विचार, एक घटना समाप्त हो, वहाँ परिच्छेद समाप्त करें।
- कहानी का विस्तार करने के लिए उचित मुहावरे, कहावतें, सुवचन, पर्यायवाची शब्द आदि का प्रयोग करें।
कहानी लेखन-[शब्द सीमा अस्सी से सौ तक]
विज्ञापन:
वर्तमान युग स्पर्धा का है और विज्ञापन इस युग का महत्त्वपूर्ण अंग है । उत्कृष्ट विज्ञापन पर उत्पाद की बिक्री का आंकड़ा आज संगणक तथा सूचना प्रौदयोगिकी के युग में, अंतरजाल (इंटरनेट) एवं भ्रमणध्वनि (मोबाइल) क्रांति के काल में विज्ञापन का क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा है । विज्ञापनों के कारण किसी वस्तु. समारोह, शिविर आदि के बारे में पूरी जानकारी आसानी से समाज तक पहुंच जाती है। लोगों के मन में रुचि निर्माण करना, ध्यान आकर्षित करना विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य होता है। विज्ञापन लेखन करते समय निम्न मुद्दों की ओर ध्यान दें:
- कम-से-कम शब्दों में अधिकाधिक आशय व्यक्त हो ।
- विज्ञापन की ओर सभी का ध्यान आकर्षित हो, अतः शब्दरचना, भाषा शुद्ध हो ।
- जिसका विज्ञापन करना है उसका नाम स्पष्ट और आकर्षक ढंग से अंकित हो ।
- विषय के अनुरूप रोचक शैली हो । आलंकारिक, काव्यमय, प्रभावी शब्दों का उपयोग करते हुए विज्ञापन अधिक आकर्षक बनाएँ ।
- ग्राहकों की बदलती रुचि, पसंद, आदत, फैशन एवं आवश्यकताओं का प्रतिबिंब विज्ञापन में परिलक्षित होना चाहिए।
- विज्ञापन में उत्पाद की गुणवत्ता महत्त्वपूर्ण होती है, अतः छूट का उल्लेख करना हर समय आवश्यक नहीं है।
- विज्ञापन में संपर्क स्थल का पता, संपर्क (मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी) का स्पष्ट उल्लेख करना आवश्यक है।
- विज्ञापन केबल पेन से लिखें।
- पेन्सिल, स्केच पेन का उपयोग न करें।
- चित्र, डिजाइन बनाने की आवश्यकता नहीं है।
- विज्ञापन की शब्द मर्यादा पचास से साठ शब्दों तक अपेक्षित है । विज्ञापन में आवश्यक सभी मुद्दों का समावेश हो।
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए:
Hindi Lokvani 10th Std Textbook Solutions Chapter 8 ऐसा वसंत कब आएगा? Additional Important Questions and Answers
(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
तुलना कीजिए।
उत्तरः
वसंत में प्रकृति एवं मानव जीवन | पतझड़ में प्रकृति एवं मानव जीवन |
वसंत में प्रकृति सदाबहार होती है। | पतझड़ में पेड़ से पत्ते अलग होते हैं। |
नए फूल व पौधों का आगमन होता है। | पेड़ पर्ण विहीन होते है। |
वसंत सभी के जीवन में खुशियाँ लाता है। | पतझड़ में मानव जीवन उसके समान दुखी एवं करुणामय दिखाई देता है। |
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
मानवता के वन-उपवन का हर प्रसून खिल पाएगा।’ इसका तात्पर्य है –
उत्तरः
जब मानवता के जीवन मूल्य को विश्व भर में सभी लोगों द्वारा अपनाया जाएगा और उसमें सभी लोग खुशीपूर्वक रहेंगे तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा।
कृति (2): शब्द संपदा
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
- मानवता
- उपवन
- यौवन
- वितरण
उत्तर:
- इंसानियत
- वाटिका
- जवानी
- बाँटना
प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
- वसंत × ……………….
- सम × ……………….
- विजय × …………….
- जीवन × …………….
उत्तरः
- पतझड़
- विषम
- पराजय
- मरण
प्रश्न 3.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव शब्द लिखिए।
नव
उत्तरः
नया
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में उचित प्रत्ययों का प्रयोग कीजिए।
1. मनुज
2. विजय
उत्तर:
1. मनुजता
2. विजेता
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘मानवता का पालन करने से सभी के जीवन में खुशियाँ छा जाएँगी।’ इस कथन के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
मानवता का अर्थ है मनुष्य होने का कर्तव्य निभाना, मानव की सेवा करना; मानव के जीवन में खुशी निर्माण करना। मनुष्य होने का यह सबसे बड़ा धर्म है। प्रत्येक व्यक्ति को मानवता के जीवन मूल्यों का पालन करना चाहिए। यदि ऐसा हुआ तो सभी के जीवन में खुशियाँ छा जाएँगी। आज मानव जीवन धीरे-धीरे खतरे की ओर बढ़ रहा है।
अणविक अस्त्रों का निर्माण हो रहा है। संपूर्ण विश्व में अशांति एवं अराजकता फैली रही है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन इस पृथ्वी से मानव का अस्तित्व नष्ट हो सकता है। अत: सभी की भलाई हेतु एवं सभी के जीवन को खुशहाल बनाने हेतु मानवता का पालन अनिवार्य है। मनुष्य जीवन के विकास के साथ विश्व भर के लोगों के जीवन में सुख-शांति आए, इसलिए हमें मानवता का पालन करना होगा।
(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
1. मानव हृदय पर इनका प्रभाव पड़ता है –
2. इनके आँगन का जिक्र पद्यांश में हुआ है –
उत्तरः
1. सुख-दुख का
2. प्रासाद व कुटी के आँगन का
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
कृति (2): शब्द संपदा
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
1. प्रासाद
2. समान
उत्तरः
1. प्रसाद
2.सामान
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. मानव
2. क्षण
उत्तर:
1. मनुष्य
2. समय
प्रश्न 3.
उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द लिखिए।
1. समान
2. प्राण
उत्तरः
1. उपसर्गयुक्त शब्दः असमान, प्रत्यययुक्त शब्द : समानता
2. उपसर्गयुक्त शब्दः निष्प्राण, प्रत्यययुक्त शब्दः प्राणहीन
प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. कुटी
2. आँगन
उत्तरः
1. कुटियाँ
2. आँगन
प्रश्न 5.
पद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्द की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तरः
1. सुख × दुख
2. प्रासाद × कुटी
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख अनिवार्य अंग होते हैं।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
जीवन की प्रतिमा को सुंदर और सुसज्जित बनाने में सुख और दुख आभूषण के समान हैं। मानव जीवन में सुख व दुख, धूप और छाँव की तरह आते-जाते रहते हैं। आखिर व्यक्ति का जीवन सुख-दुख का मेल है। कभी व्यक्ति जीवन में सुख की शीतल सुगंध की फुहारें उड़ती है तो कभी दुख की जलतीबिखरती चिनगारियाँ फैलती हैं। सुख के पल जीवन में कब आए और कब चले गए. इसका व्यक्ति को पता भी नहीं चलता है। लेकिन दुख के पल काटे नहीं कटते। सुख में व्यक्ति इतना प्रफुल्लित हो जाता है कि वह स्वयं को भी भूल जाता है और सातवें आसमान पर पहुँच जाता है। दुख में व्यक्ति इतना डूब जाता है कि वह गहराई के समुंदर से बाहर आने का नाम ही नहीं लेता है। इस प्रकार सुख-दुख आते-जाते रहते हैं।
(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तरः
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
1. सीमित
2. वंदन
उत्तरः
1. कवि के मन में छाया हुआ वसंत कैसा है?
2. भू पर अभिनव क्या बनेगा?
प्रश्न 3.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. कवि को जन-जन की चिंता है।
2. मानव की दुनिया यह धरती का अभिनव नंदन नहीं बन सकती।
उत्तरः
1. सत्य
2. असत्य
कृति (2): शब्द संपदा
प्रश्न 1.
पद्यांश में से शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तरः
जन-जन
प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
मनुज
उत्तरः
मानव
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द से उपसर्ग अलग कीजिए और संबंधित उपसर्ग से अन्य दो शब्द तैयार कीजिए।
अभिनव
उत्तर:
उपसर्ग: अभि, अन्य शब्द: अभिनेता, अभिजीत
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
1. साकार
2. भू
उत्तरः
1. आकारयुक्त
2. भूमि
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
नंदन
उत्तरः
आनंद देने वाला, पुत्र
प्रश्न 6.
लिंग बदलिए।
1. नंदन
2. कवि
उत्तरः
1. नंदिनी
2. कवयित्री
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘धरती को स्वर्ग-सी सुंदर बनाने के लिए मेरा प्रयास …..।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
धरती पर जीवन का स्पंदन है। यह धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सौगात है। इसे सुंदर व स्वच्छ रखना मेरा परम कर्तव्य है। इस धरती को स्वर्ग के जैसा सुंदर बनाने के लिए मैं पेड़-पौधे लगाऊँगा। धरती को सदैव हरित रखूगा। यहाँ-वहाँ कूड़ा-कचरा नहीं फेकूँगा। जल स्रोतों को दूषित होने से बचाऊँगा। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए वन एवं वन्य जीवों का संरक्षण करूँगा। सर्वत्र शांति का वातावरण बनाए रखूगा।
प्राकृतिक स्रोतों का सोच-समझकर उपयोग करूँगा। पर्यावरण प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने वाले संभव प्रयासों का कड़ाई से पालन करूँगा। बिजली एवं पानी का जरूरत से ज्यादा उपयोग नहीं करूँगा। मानवीय मूल्यों का प्रचार एवं प्रसार करके सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति एवं धरती के प्रति मानवीय संवेदना उत्पन्न करने की कोशिश करूँगा।
(ई) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
1. पद्यांश में पवन की विशेषता बताने वाला शब्द –
2. नवयुग यह लेकर आएगा –
उत्तर:
1. मुक्त
2. नव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
कृति (2): शब्द संपदा
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के श्रृतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
पवन
उत्तरः
पावन
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
- मुक्त
- गगन
- व्यवस्था
उत्तर:
- स्वतंत्र
- आसमान
- प्रबंध
प्रश्न 3.
पद्यांश में से तत्सम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
- रवि
- शशि
- पवन
- नव
प्रश्न 4.
वचन बदलिए।
1. संस्कृति
2. व्यवस्था
उत्तर:
1. संस्कृतियाँ
2. व्यवस्थाएँ
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘नव संस्कृति व नव विश्व व्यवस्था आधुनिकता की देन है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
पुराने जमाने में हमारे देश में जाति-प्रथा व धार्मिक आडंबरों को अत्याधिक महत्त्व दिया जाता था। स्त्रियों को सामाजिक बंधन में बँधकर रहना पड़ता था। उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था। समाज में पुरुष-प्रधान व्यवस्था थी। पुराने रीति-रिवाजों को अधिक महत्त्व दिया जाता था। आधुनिक युग में नए मूल्यों एवं नई विचारधारा का प्रचार एवं प्रसार हो जाने से जाति-पाति की भावना समाज से आहिस्ता-आहिस्ता खत्म होती जा रही है।
आज हमारे समाज में स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिया गया है। आज कई ऐसे परिवार हैं, जो स्त्री-प्रधान हैं। आज हम स्वच्छंद एवं स्वतंत्र हैं। हमें मनचाही शिक्षा या मनचाहा व्यवसाय चुनने का अधिकार है। नव संस्कृति को अपनाने से हमारे विचारों में भारी परिवर्तन हुआ है। आज हम शांति एवं एकता को अपनाने की बात कर रहे हैं। नव संस्कृति ने हमें अध्यात्म व विज्ञान इन दो विषयों से भली-भाँति परिचित कराया है। नव संस्कृति एवं नव विश्व व्यवस्था से आज व्यक्ति, समाज और राष्ट्र प्रगति कर रहा है। ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना धीरे-धीरे प्रबल हो रही है।
प्रश्न (उ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (2): शब्द संपदा
प्रश्न 1.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव रूप लिखिए।
वसन
उत्तर:
वस्त्र
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्द में उचित उपसर्ग लगाइए।
रस
उत्तरः
नी + रस = नीरस
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
- अधर
- आँखें
- भवन
उत्तरः
- होंठ
- नयन
- मकान
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
रस
उत्तरः
स्वाद, जलीय अंश।
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘रोटी, कपड़ा व मकान मनुष्य जीवन की प्राथमिक आवश्यकता होती है।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
मानव जीवन अनमोल है। मनुष्य को एक साधारण जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा व मकान की आवश्यकता होती है। इनमें से किसी एक का भी अभाव होने से उसका जीवन संतुलन सुचारू रूप से नहीं चल सकता। आज हमारे देश की आबादी बढ़ रही है। बढ़ती आबादी को प्राथमिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने में सरकार निष्फल हो रही है। आज हमारे देश में कई लोगों को तन ढंकने के लिए कपड़े भी नहीं मिल पाते हैं। कई लोग बेघर हैं और वे रेल्वे स्टेशन या सड़क पर ही अपना बसेरा बना रहे हैं।
कई बच्चे-बड़े भूखे मर रहे हैं। भुखमरी की समस्या से आए दिन लोगों की मृत्यु हो रही है। सरकार अपनी ओर से प्रयास कर रही है परंतु जनता का भी कर्तव्य है कि वे अभावग्रस्त की सहायता के लिए आगे आए। मनुष्य ने इस धरती पर जन्म लिया है, तो उसे रोटी, कपड़ा व मकान जैसी प्राथमिक सुविधाएँ मिलनी ही चाहिए और लोगों को उसे प्राप्त करने के लिए मेहनत भी करनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो सका, तो इन सुविधाओं के बिना मानव जीवन नीरस व व्यर्थ साबित होगा।
ऐसा वसंत कब आएगा? Summary in Hindi
कवि-परिचय:
जीवन-परिचय: जगन्नाथ प्रसाद ‘मिलिंद’ जी का जन्म सन 1906 में मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ। इन्हें हिंदी के अतिरिक्त उर्दू, बांग्ला, मराठी, गुजराती और अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान था। आप हिंदी साहित्य जगत में कवि एवं नाटककार के रूप में प्रसिद्ध हैं। इन्होंने खंड काव्य एवं समीक्षा ग्रंथ लिखकर हिंदी साहित्य की सेवा की है। इनके साहित्य पर गांधीवादी विचारधारा का प्रभाव पड़ा है। इन्होंने अध्यापन के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन एवं राजनीति में भी भाग लिया था। इन्हें ‘साहित्य वाचस्पति’ एवं ‘भारत भाषा भूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
प्रमुख कृतियाँ: ‘अंतिमा’, ‘पूर्णा’, ‘बलिपद के गीत’, ‘नवयुग के गान’, ‘मुक्ति के स्वर’ (काव्य संग्रह) आदि।
पद्य-परिचय:
गीत: गीत साहित्य की एक लोकप्रिय विधा है। स्वर, पद और ताल से युक्त जो गान होता है, वह गीत कहलाता है। इसमें एक मुखड़ा तथा कुछ अंतरे होते हैं। प्रत्येक अंतरे के बाद मुखड़े को दोहराया जाता है। गीत को गाया भी जाता है।
प्रस्तावना: ‘ऐसा वसंत कब आएगा?’ इस गीत में कवि जगन्नाथ प्रसाद ‘मिलिंद’ जी का मानना है कि जिस दिन सुख-सुविधाओं पर अमीर-गरीब का समान अधिकार होगा और राष्ट्र-समाज के सुखों में भी महलों एवं कुटियों का समान अधिकार होगा, उस दिन धरती पर वास्तविक वसंत आ सकेगा।
सारांश:
‘ऐसा वसंत कब आएगा?’ यह एक गीत है। इस गीत के माध्यम से कवि ‘मिलिंद’ जी ने मानवता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी के मंगलमय एवं खुशहाल जीवन की कामना की है। कवि के अनुसार सुख-सुविधाओं पर अमीर-गरीब सभी का समान अधिकार होना चाहिए और जिस दिन ऐसा होगा उस दिन सच्चे अर्थ में वसंत अर्थात खुशहाली का आगमन होगा। मानव जीवन अभावरूपी पतझड़ से भरा पड़ा है। अतः मानव को अपने जीवन के अभावों पर विजय प्राप्त करने हेतु संघर्ष करना पड़ता है। सुख-दुख का मानव हृदय पर समान प्रभाव पड़ता है।
कवि के अनुसार जब प्रत्येक व्यक्ति का हृदय प्रेम एवं हर्ष से प्रफुल्लित हो जाएगा, तब वास्तविक वसंत का आगमन होगा। सभी का सूरज, चंद्र व मुक्त विचरण करने वाले पवन पर समान अधिकार होता है। जब नवयुग समानता पर आधारित नवसंस्कृति को अपनाएगा, तब नई विश्व व्यवस्था स्थापित होने में देर नहीं लगेगी। कवि की कामना है कि प्रत्येक व्यक्ति को खाने के लिए भरपेट भोजन, शरीर पर पहनने के लिए वस्त्र व रहने के लिए घर उपलब्ध हो, जिससे प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आनंद और खुशहाली हो।
शब्दार्थ:
- मानवता – इंसानियत
- साकार – आकारयुक्त
- उपवन – वाटिका
- भू – भूमि
- यौवन – जवानी
- मुक्त – स्वतंत्र
- वितरण – बाँटना
- गगन – आसमान
- क्षण – समय, पल
- रवि – सूर्य
- शशि – चंद्रमा
- सम- समान
- रण – लड़ाई
- प्रसून – फूल
- सर्जन – निर्मित, रचना
- पुलक – प्रेम, हर्ष
- स्पंदन – धड़कन
- व्यवस्था – प्रबंध
- अधर – होंठ
- भवन – मकान
- वसन – वस्त्र