Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 6 सागर और मेघ Textbook Questions and Answers
1. स्वमत अभिव्यक्ति:
प्रश्न 1.
‘अगर न नभ में बादल होते’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर नभ में बादल न होते तो बारिश नहीं होती और यदि वर्षा नहीं होती तो हमारा जीवन संकट में पड़ जाता। क्योंकि जल ही जीवन है। वर्षा के माध्यम से हमें जल की प्राप्ति होती है। हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है जहाँ ७०% आबादी कृषि पर निर्भर है अगर वर्षा न होती तो धरती बंजर रह जाती और हमें भोजन के लिए अन्न उपलब्ध नहीं होता। नदी, तालाब, जलाशय सब सूख जाते और प्राणियों का जीवन संकट में पड़ जाता क्योंकि बिना भोजन के हम कुछ दिन जीवित रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के हमारा एक-दो दिन जीना भी मुश्किल हो जाएगा।
अगर मेघ न होंगे, तो धरती का तापमान अत्यधिक बढ़ जाएगा और मनुष्य बेहाल हो जाएगा। बारिश के कारण धरती का तापमान नियंत्रित रहता है। बादल संसार को जल रूपी जीवन का दान करता है और अनुपजाऊ धरती को उपजाऊ बनाता है। किसान बड़ी आतुरता के साथ वर्षा का इंतजार करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अगर न नभ में बादल होते, तो शायद यह जीवन ही संभव न हो पाता।
प्रश्न 2.
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
‘सागर और मेघ एक-दूसरे के पूरक हैं’ क्योंकि इन दोनों के बिना जलचक्र संभव नहीं हो सकता है। जब मेघ से पानी बरसता है तो वह वायुमंडल से भूमि तक पहुँचता है। फिर नदियों में जाकर मिलता है और वह नदियाँ अंत में जाकर सागर में मिल जाती हैं। सागर में वाष्पीकरण की क्रिया होती है और वह पानी वाष्प बनकर फिर बादल बन जाते हैं और पृथ्वी पर वर्षा होती है जिससे अनेक जीव-जंतु और वनस्पतियाँ उत्पन्न होती हैं। अत: हम कह सकते हैं कि सागर और मेघ के बिना प्राणी का जीवन संभव नहीं हो सकता। इसलिए वे दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
2. उचित जोड़ियाँ मिलाइए।
प्रश्न 1.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।
‘अ’ | ‘ब’ |
1. झूठी स्पर्धा करने वाला | (क) सागर |
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे | (ख) मेघ भरने वाला। |
(ग) मनुष्य |
उत्तर:
‘अ’ | ‘ब’ |
1. झूठी स्पर्धा करने वाला | (ग) मनुष्य |
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे | (क) सागर |
3. समानार्थी शब्द बताइए।
प्रश्न 1.
समानार्थी शब्द बताइए।
1. संसार
2. विवेकहीन
उत्तर:
1. विश्व
2. बुद्धिहीन
भाषा बिंदु:
प्रश्न 1.
निम्न वाक्यों में से सर्वनाम एवं क्रिया छाँटकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
मौलिक सृजन:
प्रश्न 1.
‘परिवर्तन सृष्टि का नियम है’ इस संदर्भ में अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। इस विषय पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है कि यह नियम क्या है। जैसे हमारे देश में ६ ऋतुएँ है इसी प्रकार संपूर्ण विश्व में भी कई प्रकार के मौसम हैं। जिस प्रकार गर्मी के बाद वसंत ऋतु आती है। यही प्रकृति का नियम हैं। उसी प्रकार हमारे मानव जीवन में भी कई परिवर्तन आते हैं जैसे जन्म से शिशु अवस्था, शैशव से किशोर अवस्था, युवा अवस्था और अंत में वृद्धावस्था और इसके बाद एक दिन सृष्टि के नियमानुसार हमें इस धराधाम को छोड़कर जाना पड़ता है। मानव जीवन में सुख और दुख भी होते हैं मगर हम मनुष्य हर परिवर्तन को सहन नहीं कर पाते; क्योंकि हर परिवर्तन हमारा मन चाहा नहीं होता है।
हम चाहते कुछ है और होता कुछ और है। ज्यादातर देखा गया है कि मनुष्य अगर इन परिवर्तनों को स्वीकार नहीं पाता है तो अधिक दुखी हो जाता है और इस दुख में इंसान अपने मन का संतुलन खो देता है और गलत कदम उठा लेता है। हमारे पूर्वजों के द्वारा हमें पता चलता है कि परमात्मा के दिए हुए हर परिवर्तन में कोई न कोई अच्छी दिशा, अच्छा और नया संदेश निहित होता है। अत: अगर हम परिवर्तन को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मान लें; तो इसमें कोई नई आशा, नई दिशा तथा नया मार्ग मिले जो पहले से बेहतर हो इसलिए हमें यह समझने की जरूरत है कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है।
पाठ के आँगन में:
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
पाठ से आगे:
प्रश्न 1.
‘मोती कैसे तैयार होता है?’ इस पर चर्चा कीजिए और दैनिक जीवन में मोती का उपयोग कहाँ -कहाँ होता हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही मोती का उपयोग काफी प्रचलित था। रामायण तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों में भी मोती की चर्चा पाई गई है। अमेरिका के मूल निवासी रेड इंडियन मोती को काफी महत्त्व देते थे। प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति प्राकृतिक ढंग से होती है। वराह मिहिर की वृहत्संहिता में बताया गया है कि प्राकृतिक मोती की उत्पत्ति सीप, सर्प के मस्तक, मछली, सुअर तथा हाथी से होती है। परंतु अधिकांश प्राचीन भारतीय विद्वानों ने मोती की उत्पत्ति सीप से बताई हैं। प्राचीन विद्वानों का मत है कि जब स्वाति नक्षत्र के दौरान वर्षा की बूंदे सीप में पड़ती हैं तो मोती का निर्माण होता है।
आधुनिक वैज्ञानिकों का मत है कि मोती निर्माण के लिए शरद ऋतु सबसे अनुकूल है क्योंकि इसी ऋतु में स्वाति नक्षत्र का आगमन होता है। इस समय जब वर्षा की बूंदें या वालू का कण किसी सीप के अंदर जाता है तो सीप एक तरल पदार्थ का स्राव करती है, यह तरल पदार्थ परत दर परत चढ़ता जाता है और मोती का रूप ले लेता है। 13 वीं शताब्दी से चीन में कृत्रिम मोती का उत्पादन भी होने लगा है। इसे मोती की खेती भी कहते हैं। 1961 से भारत में भी मोती की खेती की शुरूआत की गई। इसमें सबसे पहले सीपी का चुनाव किया जाता है फिर प्रत्येक सीपी में शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीपी के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा ऊतक रखा जाता है।
इसके बाद सीपी इस प्रकार बंद कर दिया जाता है कि उसकी सभी जैविक क्रियाएँ पहले की तरह चलती रहें। ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है और अंत में मोती का रूप ले लेता है। आजकल नकली मोती भी बनाए जाते हैं। नकली मोती सीप से नहीं बनाए जाते बल्कि शीशे या आलाबास्टर के मनको पर मछली के शल्क के चूरे की परतें चढ़ाकर बनाए जाते हैं। इनकी आज बाजारों में बड़ी माँग है। ये कीमत में सस्ते भी होते हैं। मोती का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है। इसके अलावा मोती औषधि बनाने के काम में भी आती है। जैसे मोती भस्म का उपयोग कब्ज नाशक के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इन मोतियों से एक प्रकार की गोली बनती है, जो पेट की गैस तथा एलर्जी के लिए उपयोगी है।
आसपास:
प्रश्न 1.
दूरदर्शन पर प्रतिदिन दिखाए जानेवाली तापमान संबंधी जानकारी देखिए। संपूर्ण सप्ताह में तापमान में किस तरह का बदलाव पाया गया, इसकी तुलना करके टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
पिछले कई दिनों से मैं प्रतिदिन दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले तापमान संबंधी जानकारी को देख रहा हूँ। संपूर्ण सप्ताह का तापमान देखने के बाद मुझे ज्ञात हुआ कि महानगरों का तापमान कभी बहुत बढ़ जाता है तो कभी कम हो जाता है। पिछले कई सप्ताहों से मुंबई, दिल्ली,मद्रास, कोलकाता आदि महानगरों के तापमान में काफी बदलाव आ रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि सारे बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। जिसे साधारण भाषा में भूमंडलीय तापमान में वृद्धि कहते हैं।
आज तापमानों में बदलाव का मुख्य कारण प्रदूषण है। जिससे कार्बन डाई आक्साईड की मात्रा बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ों की कटाई और गाँवों का शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है, जिसके कारण खुली और ताजी हवा या आक्सीजन का अभाव होता जा रहा है। पेड़ों तथा जंगलो की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। जिससे कही ठंड बहुत ज्यादा हो रही है, तो कही गर्मी का प्रकोप बहुत ज्यादा हो रहा है।
वैज्ञानिकों का मत है कि आनेवाले समय में यह तापमान बदलाव बहुत भयानक रूप ले सकता है। यह फसलों के साथ-साथ जनजीवन के लिए भी नुकसानदायक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिकतम तथा न्यूनतम पारे का अंतर बढ़ गया है। इसलिए हमें सावधान रहने की आवश्यकता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितनी जल्दी हो इस समस्या का समाधान प्राप्त कर लें।
Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 6 सागर और मेघ Additional Important Questions and Answers
(क) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति क (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
1. नदियों के कर देने की निरंतरता इससे बनी रहती है –
2. सागर ने मेघ को इस पर ध्यान देने के लिए कहा –
उत्तर:
1. मेघ द्वारा दिया गया बहुत-सा दान जिसे नदियाँ पृथ्वी के पास धरोहर के रूप में रखे रहती हैं।
2. वाइव जो नित्य मुझे (सागर) जलाया करता है, फिर भी मैं उसे छाती से लगाए रहता हूँ।
प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।
‘अ’ | ‘ब’ |
1. दूसरे की करतूत पर गर्व करनेवाला | (क) वाड़व |
2. सागर को नित्य जलाने वाला | (ख) मेघ |
(ग) मनुष्य |
उत्तर:
‘अ’ | ‘ब’ |
1. झूठी स्पर्धा करने वाला | (ख) मेघ |
2. अपने हृदय में कंकड़ पत्थर, शंख-घोंघे | (ग) मनुष्य |
कृति (2): शब्द-संपदा
प्रश्न 1.
प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. निरंतरता
2. गरजकर
उत्तर:
1. निरंतर + ता (ता – प्रत्यय)
2. गरज + कर (कर – प्रत्यय)
प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए।
1. नदियाँ
2. पृथ्वी
उत्तर:
1. नदी
2. पृथ्वी
प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. पृथ्वी
2. विश्राम
उत्तर:
1. धरती
2. आराम
(ख) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
कृति (2): शब्द-संपदा
प्रश्न 1.
उपसर्ग अलग करके लिखिए।
1. अस्थिरता
2. अचल
उत्तर:
1. अ + स्थिरता = अस्थिरता (अ – उपसर्ग)
2. अ+ चल = अचल (अ – उपसर्ग)
प्रश्न 2.
गद्यांश से विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
1. अहिंसा × ……….
2. धरती × ………..
उत्तर:
1. हिंसा
2. आकाश
प्रश्न 3.
निम्नलिखित के समानार्थी शब्द लिखिए।
1. स्पर्धा
2. मेघ
उत्तर:
1. प्रतियोगिता
2. बादल
कृति (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘अगर सागर न होता तो ……..’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
अगर सागर न होता, तो हमें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । धरती के ७० प्रतिशत भू-भाग में सागर फैला हुआ है। अगर महासागरों में जैव विविधता का विशाल भंडार न होता, तो पृथ्वी पर जीवन ही संभव न होती। यदि समुद्र का पानी खारा न होता तो गर्म प्रदेश और गर्म हो जाते तथा ठंडे प्रदेश और ज्यादा ठंडे। यह सागर की विशाल जलराशि ही है जो सूर्य से आनेवाली उष्मा का एक बड़ा हिस्सा अपने भीतर समा लेती है। यह प्रक्रिया ही मौसम को संतुलित करती है।
सागर में मौजूद विविध जैविकी में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता होती है। इस क्षमता के कारण ही इन्हें पर्यावरण को संतुलित रखने का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। सागर का खारा पानी भले ही पीने लायक न हो लेकिन यह गर्म हवाओं को ठंडा करती है तथा इस खारेपन के कारण ही बारिश होती है, मौसमों में रंगों की विविधता है तथा जीवन है। जिस प्रकार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए; उसी प्रकार कार्बन और नमक के जहर को पीकर सागर हमें सुरक्षित रखता है और पर्यावरण को संतुलित करता है। इसलिए अगर सागर न होता, तो शायद पृथ्वी में जीवन का अस्तित्व ही न होता।
(ग) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ग (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
सत्य असत्य पहचानकर लिखिए।
1. क्रोध हमें विवेकहीन बना देता है।
2. मनुष्य सागर और मेघ पर निर्भर नहीं है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
कृति ग (2): शब्द-संपदा
प्रश्न 1.
विलोम शब्द लिखिए।
1. स्वादिष्ट × ……………..
2. उन्नति × ……………..
उत्तर:
1. स्वादहीन
2. अवनति
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए।
1. अपमानित
2. आतुरता
उत्तर:
1. ‘इत’ प्रत्यय
2. ‘ता’ प्रत्यय
भाषाई कौशल पर आधारित पाठगत कृतियाँ
भाषा बिंदु:
प्रश्न 1.
निम्न में से संज्ञा तथा विशेषण पहचानकर भेदों सहित लिखिए।
उत्तर:
सागर और मेघ Summary in Hindi
लेखक-परिचय:
जीवन-परिचय: राय कृष्णदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। ये हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्लाभाषा के अच्छे जानकार थे। इन्होंने कविता, निबंध गद्यगीत, कहानी, कला, इतिहास आदि विषयों पर रचनाएँ की हैं। इनको ‘साहित्य वाचस्पति पुरस्कार’ तथा भारत सरकार दवारा ‘पद्म विभूषण’ की उपाधि मिली थी।
प्रमुख कृतियाँ: मौलिक ग्रंथ – ‘भारत की चित्रकला’, ‘भारत की मूर्तिकला’, कहानी संग्रह – ‘साधना आनाख्या’, ‘सुधांशु’, गद्यगीत – ‘प्रवाल’।
गद्य-परिचय:
संवाद: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच हुआ वार्तालाप, बातचीत या संभाषण ‘संवाद’ कहलाता है।
प्रस्तावना: प्रस्तुत संवाद ‘सागर और मेघ’ के द्वारा लेखक ने सागर एवं मेघ के गुणों को दर्शाया है और हमें विनम्र होने की सीख
देते हुए कहा है कि अपने गुणों पर इतराना और अहंकार करना एक बुराई है। अहंकार नाश का मूल है। अतः लेखक इससे बचने की सलाह देते हैं।
सारांश:
सागर और मेघ अपने गुणों का बखान करते हुए आपस में संवाद कर रहे हैं। सागर कहता है कि उसके हृदय में मोती भरे हैं। जवाब में मेघ कहता है कि तुमने मुझसे जल का हरण किया है। सागर कहता है कि मैं सदा अपना कर्म करता हूँ। अगर सागर न होते तो मेघ न बनते अर्थात तुम्हें जन्म देने वाला मैं हूँ। मेघ मुस्कुराकर कहता है कि अगर बरसात न होती, तो नदियाँ कहाँ से उमड़ती और तुम्हें भरती। सागर मेघ पर व्यंग्य करते हुए कहता है कि आकाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरते हो। मेघ सागर को हँसकर जवाब देता है कि मैं घूम-फिर कर संसार का निरीक्षण करता हूँ और जहाँ आवश्यक होता है; वहाँ जीवन-दान करता हूँ। अगर मैं न रहूँ, तो यह धरती बंजर हो जाएगी।
फिर मेघ सागर को उलाहना देते हुए कहता है कि तुम्हारा हृदय कठोर है क्योंकि तुम्हारे दिल में कंकड़-पत्थर भरे हुए हैं। जवाब में सागर कहता है कि जिन्हें तुम कंकड़-पत्थर समझ रहे हो वो असल में रत्न हैं। सागर आगे कहता है कि तुम सिर्फ शोर मचाना जानते हो। मेघ तुरंत जवाब देता है कि वह गरजने के साथ बरसना भी जानता है। लेकिन वह सागर की तरह नहीं है कि केवल उत्पातियों और अपराधियों को जगह देता है। सागर मेघ की बातों से क्रोधित हो उठता है और कहता है कि हाँ, मैं शरण अवश्य देता हूँ लेकिन दंड उतना ही होना चाहिए कि दंडित सावधान हो जाए; उसे अपाहिज नहीं होना चाहिए।
सागर की बातों से मेघ भी गुस्से में आ जाता है और कहता है यह भी कोई नीति हुई कि राजा अपने राज्य की रक्षा के लिए हमेशा शस्त्र लिए खड़ा रहे अपनी राज्य की उन्नति न कर पाए। अब सागर को असली बात समझ में आती है और वह मेघ से कहता है कि अपना क्रोध शांत करो और आओ हम दोनों मिलकर जनकल्याण का कार्य करें।
मेघ का भी क्रोध शांत होता है और वह कहता है कि प्रति वर्ष किसान मेरी प्रतीक्षा करता है। इसलिए हे सागर भाई, हमें आपस में उलझना नहीं चाहिए। दोनों प्रतिज्ञा करते हैं कि अब हम घमंड में एक-दूसरे का अपमान नहीं करेंगे। बल्कि लोक कल्याण के लिए कार्य करेंगे। मेघ कहता है कि मैं नदियों को भर-भर कर तुम तक भेजूंगा और सागर कहता है कि मैं सहर्ष उन्हें उपकार सहित ग्रहण करूँगा।।
शब्दार्थ:
- बुलंद – ऊँचा, उन्नत
- वारि – जल
- धरोहर – विरासत
- निरंतरता – अविरामता
- कायम रहना – बने रहना
- विकार – गंदगी
- तृप्त – संतुष्ट
- करतूत – कार्य
- हठात – हठपूर्वक
- वाड़व – समुद्र जल के अंदर वाली अग्नि
- मर्यादा. – सीमा
- आयास – विस्तार (आयाम)
- उच्छंखल – उदंड, उत्पाती
- रसा – पृथ्वी
- वंध्या – बंजर
- निपात – गिरना
- आततायियों – अत्याचारियों
- चेत जाना – सावधान होना
- शास्ता – राजा, शासक
- आतुरता – उत्सुकता